जौनपुर। किसान और खेती से जुड़े लोग सावधान रहें अप्रैल के प्रथम सप्ताह में हमारी भविष्यवाणी के अनुसार भयंकर गर्मी बड़ी बहुत तेज हवाएं भी चली और घने बादल भी छाए लेकिन वर्ष नहीं हुई लेकिन अप्रैल के अगले हफ्ते में 13 से लेकर 17 अप्रैल तक जौनपुर और आसपास और उत्तर भारत में आने का स्थान पर पश्चिमी विकशॉप और तप के अंतर के कारण तेज हवाओं और बिजली की गलत चमक के साथ कहीं-कहीं बूंदाबांदी कहीं-कहीं हल्की वर्षा होने की और कहीं-कहीं ओले पड़ने की संभावना बन रही है इसलिए कृषि और बागबानी से जुड़े लोगों को सावधान रहना चाहिए अप्रैल के अगले सप्ताह में तापमान में उल्लेखनीय कमी अचानक आने का पूरा अनुमान ज्योतिष के अनुसार और उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर बन रहा है अप्रैल के तीसरे हफ्ते से गर्मी फिर से तेजी से बढ़ना शुरू होगी पूरा अप्रैल बहुत तेज हवाओं बादलों के आवाजाही का कहीं-कहीं बादल वर्षा कहानी-कहानी झंझावात का गवाह बनेगा इसलिए जनहित में यह भविष्यवाणी की जा रही है जिससे सब लोग सावधान रहें और जितना अवसर मिल रहा है उसमें अपने कृषि संबंधित कामों को तेजी से समाप्त करने का प्रयास करें जहां अप्रैल के पहले सप्ताह में जौनपुर और आसपास तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास उच्चतम स्तर पर रहा वहीं न्यूनतम स्तर पर भी है 22 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा 13 अप्रैल से 20 अप्रैल या तापमान घटकर अधिकतम 35 और न्यूनतम 22 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा। ग्लोबल वार्मिंग पेड़ों की कटाई प्रदूषण उद्योग धंधों का बढ़ना और वाहनों के निकले हुए धुएं का असर इलेक्ट्रॉनिक कूड़ा कचरा रेल सड़क और वायु मार्ग से निकलने वाले जहरीले धुएं और पी एम 2.5 पी एम 10 तत्वों का हवा में घुल जाना सीमेंट कारण और कंक्रीट के जंगल हरे-भरे पेड़ पौधे वनस्पतियों का घट जाना देश पर और विशेष कर महानगरों में बहुत तेजी से पढ़ रहा है जिसके कारण बेंगलुरु जैसे ठंडा शहर सारे रिकॉर्ड तोड़कर 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास का तापमान देंगे जो बहुत घातक होगा पूरे देश में अप्रैल में मौसम बहुत भयानक रहेगा जिसमें हिमालय क्षेत्र पूर्वोत्तर भारत और दक्षिणी भारत में सामान्य से मध्यम वर्षा तेज तूफानी हवाओं के साथ होने की संभावना है जबकि महाराष्ट्र कर्नाटक गुजरात मध्य प्रदेश उड़ीसा राजस्थान दिल्ली और पश्चिम उत्तर भारत और उत्तर प्रदेश के अनेक भाग भयंकर गर्मी से जूझते हुए नजर आएंगे भारत के अधिकांश भागों में विशेष कर दक्षिण के पठार महाराष्ट्र और कर्नाटक में भीषण जल संकट उत्पन्न हो जाएगा।डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी केंद्र