पॉलिटेक्निक चौराहा, ओलंदगंज से लेकर अहियापुर तक का है बुरा हाल
जौनपुर। बीमार लोगों को स्वस्थ बनाने का दावा करने वाले नर्सिंग होम शहर के यातायात व्यवस्था को चरमराने में लगे हुए हैं। पॉलिटेक्निक चौराहे से लेकर ओलंदगंज और अहियापुर तक जाने वाले सड़क पर आए दिन जाम की समस्या लगा रहता है। लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है। सबसे अधिक समस्या आवासीय इलाके में बने निजी अस्पताल पैदा कर रहे हैं। सहकारी कॉलोनी पश्चिम में एक वाहन रास्ते में खड़े हो जाने के कारण घंटे तक जाम की स्थिति बनी रहती है।पॉलिटेक्निक चौराहा से नईगंज रोड पर निजी अस्पतालों की भरमार है। जहाँ चिकित्सालयों की बिल्डिंग तो आलीशान बनी हुई है लेकिन पार्किगं न होने के कारण अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों व तिमारदारों की गाड़ियां सड़क पर ही खड़ी होती है। जिसके कारण हाईवें पर जाम लगा रहता है। रोड से लेकर सहकारी कॉलोनी पश्चिम में करीब आधा दर्जन नर्सिंग होम और ऐसे निजी अस्पताल बताए जा रहे हैं। इन अस्पतालों के कारण आम नागरिकों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सहकारी कॉलोनी पश्चिम में वासुदेव हॉस्पिटल, सिन्हा डेन्टल हॉस्पिटल , पॉलिटेक्निक से ओलंदगंज जाने वाले मार्ग पर साई बाल चिकित्सालय, शंकर आई हॉस्पिटल है। इनमें से कई हॉस्पिटलों के पास कागज में भले पार्किंग होगी लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बताया जा रहा है। अस्पताल में आने वाले मरीज अपने वाहनों को सड़क के किनारे खड़ा कर रहे हैं।
इन हॉस्पिटल में मरीजों की संख्या रोज सैकड़ो तक पहुंच जाती है। मजेदार बात यह है कि इन हॉस्पिटलों ने वाहनों को सही तरीके से लगाने के लिए कर्मचारियों की भी तैनाती नहीं की है। इन हॉस्पिटलों में लगे सीसीटीवी कैमरे खुद ही पार्किंग और जाम की कहानी बयां करने के लिए पर्याप्त है। आवासीय इलाके में जाम के कारण कभी-कभी दुर्घटनाएं भी होती हैं। कई बार तो जाम को लेकर सड़क से गुजरने वाले राहगीरो के बीच में विवाद भी हो जाता है। वर्षों से ट्रैफिक व्यवस्था को बीमार बनाने वाले इन अस्पतालों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। हालांकि जाम में सीधे-सीधे अस्पतालों की ही जिम्मेदारी नहीं बनती है। इसके लिए इलाज कराने आए मरीज को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। हैरत की बात तो यह है कि इस रास्ते से ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी नित्य गुजरते हैं। जो आम आदमी पर चीते की तरह टूट पड़ने वाले ट्रैफिक पुलिस कर्मी इन अस्पतालों के पास लापरवाह ढंग से खड़े वाहनों को देखने के बाद भी आंखें बंद कर निकल जाते हैं। ट्रैफिक पुलिस ने आज तक इन अस्पतालों के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है। आम नागरिकों का कहना है की ऐसे अस्पतालों में वाहन पार्किंग की मुकम्मल व्यवस्था कराई जानी चाहिए। जिससे शहर की यातायात व्यवस्था बाधित ना हो।