धर्म और अध्यात्म का अर्थ केवल पूजा – पाठ नहीं : पीठाधिश्वर डॉ सचीन्द्र नाथ मिश्र

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पंकज सीबी मिश्रा/पूर्वांचल लाईफ
यूपी : अध्यात्म और सनातन का समागम और सिद्ध महात्माओ की उपस्थिति नें हिंदी साहित्य भारती – आध्यात्मिक सम्मेलन, झाँसी को यादगार बना दिया। कई महामंडलेश्वरगण, पूज्य संत महात्माओं, कथा-वाचकों, विद्वतजनों, मातृशक्ति एवं उपस्थित समस्त धर्मप्रेमी जनों नें आध्यात्मिक समागम को स्मरणीय बना दिया। उक्त बाते श्रीकुल पीठाधीश श्री श्री 1008 पंडित डॉ सचिन्द्र नाथ मिश्र नें कही। यूपी मिडिया के पत्रकार पंकज सीबी मिश्रा को दिए साक्षत्कार में श्रीकुल पीठाधीश नें बताया कि आज हम सब उस पावन धरा पर एकत्रित हुए हैं, जिसने इतिहास में क्रांति की अमिट गाथाएँ लिखीं। यहां महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की चरण रज है। यह झाँसी की पुण्यभूमि है और आज इसी भूमि पर तुलसी जयंती के अवसर पर हिंदी साहित्य भारती (अंतरराष्ट्रीय) का यह पहला भव्य आध्यात्मिक सम्मेलन संपन्न हो रहा है। यह अवसर केवल एक सम्मेलन का नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण का एक प्रबल संकल्प है। हमारे आराध्य गोस्वामी तुलसीदास महाराज ने लोकमंगल, धर्मरक्षा और मानवता के लिए जिस रामकथा का दीपक प्रज्वलित किया, आज हम उसी ज्योति को संकल्प की अग्नि में परिवर्तित करने के लिए यहाँ एकत्र हुए हैं। हमारा ध्येय स्पष्ट है –
“मानव बन जाए जग सारा – यह संकल्प है हमारा। सम्मेलन में भारत के विभिन्न प्रांतों से पधारे पूज्य संत-महात्माओं, कथा वाचकों, पुरोहितों, महामंडलेश्वरों का अभिनंदन और सम्मान कर हिंदी साहित्य भारती ने धर्म और संस्कृति के संगम को और मजबूत किया है। इस सम्मेलन में संस्थापक अध्यक्ष एवं पूर्व राज्य मंत्री डॉ. रवींद्र शुक्ला ने संगठन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए समस्त संतो का सम्मान किया जबकि मंच से पीठाधीश डॉ सचिन्द्र नाथ मिश्र नें यह आह्वान किया कि – “धर्म केवल पूजा तक सीमित नहीं, बल्कि यह राष्ट्र और मानवता की सेवा का पथ है। हमें इससे अपने आत्मा की शुद्धिकरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि तुलसीदास की वाणी को जन-जन तक पहुँचाकर सनातन संस्कृति की रक्षा करना आज हम सभी का दायित्व है। कार्यक्रम संचालक नें मंच से कहा कि हर्ष का विषय है कि इस ऐतिहासिक अवसर पर श्री श्री 1008 डॉ. सचिन्द्रनाथ महाराज (पीठाधीश्वर, श्रीकुल पीठ, सम्बद्ध प्रधान शक्तिपीठ माँ कामाख्या देवी, वाराणसी) को हिंदी साहित्य भारती (अंतरराष्ट्रीय) आध्यात्मिक प्रकोष्ठ उत्तर प्रदेश का दायित्व सौंपा गया। यह न केवल संगठन के लिए गौरव का क्षण है बल्कि सनातन धर्म की सेवा यात्रा में एक नया अध्याय है। आज यहाँ पारित प्रस्ताव यह संदेश लेकर जा रहे हैं कि: हम सब मिलकर सनातन संस्कृति की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए एकजुट रहेंगे। तुलसीदास जी के आदर्शों को विश्व पटल तक पहुँचाएँगे और आने वाली पीढ़ियों के लिए धर्म, आचरण और सेवा का सशक्त मार्ग प्रशस्त करेंगे। आज हम सब संकल्प लें कि तुलसीदास जी के संदेशों को अपनी वाणी और कर्म में उतारेंगे और सनातन संस्कृति को विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित करने में अपना योगदान देंगे।

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