पंकज सीबी मिश्रा/पूर्वांचल लाईफ
यह कोई मास्टरस्ट्रोक नहीं , बिहार में चुनाव है और अगर आपकी याददास्त कमजोर है तो याद दिला दूं जातिगत जनगणना की मांग बिहार से ही उठी थी तो भाजपा को बिहार चुनाव जीतने के लिए इससे अच्छा एजेंडा और क्या मिलता। वैसे भी यह एक कवायद है दो मुद्दो को जोड़कर जनता को नई बहस में झोंकने की ताकि पहलगाम आतंकी हमले से सोशल मीडिया और मेनस्ट्रीम मीडिया का ध्यान हटाकर यह पूरा गोपनीय विमर्श सेना के कार्यवाही के लिए छोड़ दिया जाए और बाकी का जातिगत आधारित जनगणना पर कुछ कांग्रेसी राहुल की पीठ थपथपा रहे तो कुछ भाजपाई अब इसे मोदी का मास्टरस्ट्रोक साबित करने की जुगत में लगेंगे पर आपको कुछ बाते याद रखनी होगी। जाति जनगणना कई कान्ग्रेस समर्थित राज्यों ने पहले ही करवा रखी है, लेकिन उसकी रिपोर्ट कभी प्रकाशित नहीं की तो सोचिए वजह क्या हो सकती है ? जब केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किए जाएंगे तो आप देखेंगे कि ब्राह्मण, क्षत्रिय और बनिया मिलाकर 40 फीसदी के करीब होंगे और यह सरकारी आंकड़ा होंगा तो आप चिल्ला करके या संविधान की किताब लहराकर के भी कर क्या पाएंगे। जातिगत आंकड़े के बाद देश मे जाति के आधार पर होने वाली प्रेशर पॉलिटिक्स बहुत हद तक बदल जाएगी। बाकी बिहार चुनाव को देखते हुए कैबिनेट की बैठक से बाहर भले ही जाति जनगणना का जिन्न आया हो, लेकिन मुख्य फैसला पहलगाम पर ही आया होगा। केंद्र में इस समय वो सरकार है, जहां किसी प्रदेश में चुनाव नतीजों के बाद मुख्यमंत्री को भी 5 मिनट पहले ये पता चलता कि वो अगला मुख्यमंत्री बनने वाला है, उस सरकार से ये उम्मीद करना कि उसकी असली प्लानिंग क्या है यह आपको असली परिणाम के बाद ही पता चलेगा। जाति जनगणना पर जितना भावुक सपाई और कांग्रेसी हो रहे इतने भावुक आप बिलकुल न हों। जाति गणना में लोचा है और यह तब पता चलेगा जब इसका आंकड़ा आयेगा और देश में जगह – जगह लोग तख्ती लेकर सड़कों पर नौकरी की मांग करेंगे। स्थिति ऐसी भी आएगी की आदिवासी और दलितों को छोड़ बाकी सबका काम तमाम भी कर दिया जायेगा। इस कदम का एक और मकसद होगा जिसने नाम में आगे पीछे कहीं भी शर्मा, सिंह और राय के आड़ में अपनी असली जाति छिपा जाने वालों की भी पैंट खुल जायेगी। वैसे भी चलो जाने दो भारत-पाकिस्तान वाला मुद्दा आप छोड़ो और आओ इस पहेली में उलझ कर खो जाएं कहीं युद्ध में भले देश के सभी नागरिकों को मौका लड़ाई लड़ने का ना मिले लेकिन जाति गणना में 140 करोड़ हिंदुस्तानी मिसाइल दागेगा। जनगणना 2021 में ही होनी थी और इसमें जो सवाल पूछे जाते हैं आपसे उनमें आपकी जाति भी पूछी जायेगी बस इतना भर होगा और ऐसा नहीं कि इससे पूर्व ये हुआ नहीं और न ऐसा है कि हम जाति विहीन समाज हैं। निश्चित ही जैसे जनगणना में धर्म के खाने में कोई धर्म नहीं मानते के लिए ऑप्शन होता है। यहाँ भी होगा। आपत्ति है तो अपने डाटा में जाति न लिखें या न बतायें। कम से कम में ये करने वाला हूँ। दलित, पिछड़ो सबको जातिवाद करना चाहिए सिवाए सवर्णों को छोड़कर। सीधे-सीधे टीवी पर बैठकर जनरल के खिलाफ भड़काया जा रहा है। भविष्य में जातीय नरसंहार हमारी प्रतिक्षा कर रहा है। पहली सरकारी नौकरियां फिर प्राइवेट और अंत तक में देखिए यह कहां तक जाता है। सब इसी जीवन में हो जाएगा। इसके आगे भाई एक अनुमानित आंकड़ा यूपी की हर विधानसभा का मेरे पास ही है कि कहाँ क़िस जाति का कितना वोट है। तो होता तो सरकार के पास भी है ही। अच्छा है कुछ सवाल पर बहस होगी जैसे ओबीसी और एससी आरक्षण का पूरा लाभ कौनसी जातियाँ डकार गयी और उन्हें जनरल में रख कैसे बाकियों से न्याय किया जाये। इसी बहाने एनआरसी को भी साथ ही जोड़ा जा सकता है।