जौनपुर। जिले के स्वास्थ्य विभाग महकमें में बिना तनख्वाह के दो ऐसे व्यक्ति कार्य कर रहे हैं जो शवों को सील करने से लेकर चीरफाड़ करने तक का काम बखूबी से विगत दस वर्षो से करते चलें आ रहे हैं जो शवों के साथ आए उनके परिजनों से शव का पोस्टमार्टम करने के नाम पर रुपये पैसे लेने को मजबूर इस लिए बताए जा रहे है कि उनसे बिना तनख्वाह के विगत दस वर्षों से कार्य कराया जा रहा है, जो दुर्घटनाग्रस्त शवों को अमर शहीद उमानाथ सिंह जिला चिकित्सालय के शव घर में रखने से लेकर शव का चीरफाड़ करने तक के लिए दो सगे भाई कार्य कर रहे है। जो अपने परिवार की जीविका चलाने के लिए ऐसा काम करने को मजबूर है। कोई भी इंसान के बस का यह काम नहीं है। फिर भी दोनों भाई बड़े ही निष्ठापूर्वक इस कार्य को विगत दस वर्षो से लगातार करते चलें आ रहे हैं।
बता दें कि नगर के पचहटियां स्थित चीरघर में दुर्घटनाओं में हुई मौत में पहुँचाए गये शवों को सील करने से लेकर पोस्टमार्टम करने तक दो व्यक्ति द्वारा पीड़ित परिवार वालो से पाँच सौ रुपये से लेकर एक हजार रुपये की मांग करते हैं। बताया जा रहा है कि जौनपुर नगर स्थित चीरघर में शवों का चीरफाड़ करने के लिए नदीम नामक व्यक्ति की तैनाती हैं। जो डॉक्टर और फार्मासिस्ट से पहले ही चीरघर उपस्थित रहता है। वहीं यह भी बताया जा रहा है कि जिसे स्वास्थ्य विभाग कर्मियों द्वारा बिना तनख्वाह के ऐसे कामो के लिए रखा गया है।
लालू नामक व्यक्ति ने बताया हैं कि लाशों को सील करने से लेकर चीरफाड़ करने तक पीड़ित परिवार वालो से पाँच सौ रुपये से लेकर एक हजार रुपये की डिमांड करने पर हम लोग मजबूर इस लिए है कि हम दोनों भाइयों को सरकार द्वारा कोई वेतन नहीं मिलता हैं। विगत दस वर्षो से ऐसे काम को करने के लिए हम दोनों भाइयों को किसी प्रकार का कोई वेतन नहीं मुहैया कराया जाता हैं जिसके कारण शवों के साथ आए परिवार वाले से रुपये पैसो की मांग पूरी कर अपने परिवार वालो की जीविका चलाने को मजबूर हैं हम दोनों भाई।
बड़ी हैरत की बात यह है कि परिवार में किसी की हादसें में मौत हो जाए या उन पर दुखों का पहाड़ टूट जाए इन सब बातों का जिला अस्पताल के शव घर पर बिना तनख्वाह पर कार्य करने वाले लालू एवं चीरघर पर बिना तनख्वाह पर कार्य करने वाले नदीम को इन बातों से कोई लेनादेना नहीं है कि वह कौन था, कैसे मरा, कहाँ का रहने वाला था, उन्हें तो बस शव का चीरफाड़ करने से पहले जब तक उसकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक वह शव को हाथ तक नहीं लगाएंगे।
ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसे काम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा दो सगे भाइयों को विगत दस वर्षो से बिना तनख्वाह रखकर उन दोनों भाइयों का शोषण किया जा रहा हैं जबकि ऐसा कार्य कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा दोनों भाइयों को स्थाई कर्मचारी के रूप में तैनात कर तनख्वाह मुहैया कराया जाना चाहिए, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों की घोर लापरवाही का खामियाजा शवघर पहुचे पीड़ित परिवार वालों को भोगना पड़ रहा है जो अत्यंत दुःखद और शर्मनाक है।