पंकज सीबी मिश्रा/पत्रकार जौनपुर
केराकत (पूर्वांचल लाईफ न्यूज) प्रदेश में कुपोषण हटाने हेतु बाल पुष्टाहार वितरण कराया जाता है। उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार इस योजना के तहत 1.77 करोड़ लाभार्थियों को लाभ दिया जा रहा। उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिलों के आंगनवाड़ी केंद्रों पर बच्चों और गर्भवती महिलाओं को जुलाई के बाद अक्टूबर, नवंबर महीने का पुष्टाहार (अनुपूरक पुष्टाहार) नहीं मिला। केराकत विकासखंड के कई आँगनबाड़ी केंद्रों से भी यह शिकायत मिली। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार के अनुसार उत्तर प्रदेश में 1.89 लाख से ज्यादा आंगनवाड़ी केंद्र हैं। पिछले तीन महीने से बच्चों को मिलने वाला राशन (पुष्टाहार) का वितरण नहीं हुआ है। जब प्राथमिक विद्यालय देवनाथपुर आगनवाड़ी केंद्र, प्राथमिक विद्यालय थानागद्दी आँगनबाड़ी केंद्र इत्यादि से इसकी जानकारी ली गईं तो उन्होंने बताया कि कई महीने से राशन आया ही नहीं है। यह पुष्टाहार बाल विकास परियोजना और आँगनबाड़ी के सहयोग से वितरित किया जाता है।गर्भवती महिलाओं व स्तनपान कराने वाली माताओं के स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने 2 अक्टूबर 1975 को एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) की शुरुआत की थी। योजना के अन्तर्गत 06 माह से 06 वर्ष आयु के बच्चों, गर्भवती एवं धात्री माताओं को योजना से लाभान्वित किया जाता हैं। इधर यह भी हो रहा कि योजना के तहत पूरा आहार एक बार में नहीं मिल रहा। इसलिए लाभार्थियों को एक साथ पूरा आहार नहीं मिल पा रहा जिसकी लगातार शिकायत सीडीपीओ की जा रही पर उनका फ़ोन बंद आ रहा। उत्तर प्रदेश शासन की न्यूट्रिशन निदेशक सरनीत कौर ब्रोका ने मिडिया इंटरब्यू में बताया, अक्टूबर और नवंबर 2023 में टेंडर की प्रक्रिया की वजह से उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिलों में वितरण नहीं हो पाया था। कुछ जिलों में स्टॉक था तो वहां वितरण नहीं रुका। वितरण की प्रणाली को 15 दिनों से ठीक करवा दिया गया है, जिन जिलों में वितरण नहीं हो पाया था उन जिलों में वितरण लगातार जारी रहेगा। ब्लॉक स्तर से पोषण राशन का उठान करवाना सुनिश्चित किया जा रहा है। जल्द ही राशन वितरण हो जायेगा। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के लिए बतौर खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञ (उत्तर प्रदेश) काम करने वालीं जीना शर्मा के अनुसार आहार संबंधी मसलों पर ऐसी लापरवाही भारी पड़ सकती है। बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर उत्तर प्रदेश सहित देश के दूसरे राज्यों की भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। ऐसे में पुष्टाहार वितरण को लेकर ब्रेक स्थिति को और खराब कर सकता है। जनपद के पत्रकार और विश्लेषक पंकज सीबी मिश्रा नें बताया कि बाल विकास सेवा एंव पुष्टाहार विभाग, उत्तर प्रदेश के अनुसार राज्य में 6 माह से 6 साल के अतिकुपोषित बच्चों को 1.5 किलो गेहूं दलिया, 1.5 किलो चावल, 2 किलो चना दाल, 500 मिलीलीटर खाद्य तेल, 6 माह से 3 साल के बच्चों को 1 किलो गेहूं दलिया, 1 किलो चावल, 1 किलो चना दाल, 500 मिलीलीटर खाद्य तेल, 3 से 6 साल के बच्चों को 500 ग्राम गेहूं दलिया, 500 ग्राम चावल, 500 ग्राम चना दाल, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 1.5 किलो गेहूं दलिया, 1 किलो चावल, 1 किलो चना दाल, 500 मिलीलीटर खाद्य तेल, 11 से 14 साल की किशोरियां को 1.5 किलो गेहूं दलिया, 1 किलो चावल, 1 किलो चना दाल, 500 मिलीलीटर खाद्य तेल का वितरण हर महीने किया जाता है पर इसमें भारी अनियमितता मिली है। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के कागजों में अटेंडेंस आज भी जिंदा है पर लाभार्थी नदारद । बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से मिलने वाला पोषाहार (रिफाइंड तेल, चना दाल और गेहूं दलिया) बच्चों तक ठीक से नहीं पहुंच रहा। कहीं – कहीं आंगनबाड़ी कार्यकत्रीयों पर संगीन आरोप लगे और खुद ही फर्जी सिग्नेचर करा राशन अपने आस पास के पशु पालको और मीलों को बेच देंनें कि शिकायते मिली। हर महीने रजिस्टर पर ही अटेंडेंस लग रही है। अटेंडेंस जिला मुख्यालय भेजी जाती है, जहां से निदेशालय। सैलरी सीधे अकाउंट में ट्रांसफर होती है। आपको बता दें कि तीन महीने का राशन एक साथ जाता है। अक्टूबर महीने तक का राशन गया है। हो सकता है कि उसके बाद लिस्ट में बच्चे का नाम जुड़ा हो। यह वजह भी हो सकती है कि कम बच्चों का राशन जा रहा है।भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नैफेड) के गोदाम से पोषाहार विकासखंड स्तर पर बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) के पास जाता है। फिर स्वयं सहायता समूह। फिर आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचता है। ये पूरी प्रक्रिया हर माह चलती है। विभागीय लोगों के मुताबिक राशन वितरण में पारदर्शिता को लेकर ग्रामीण स्तर पर स्वयं सहायता समूह को साथ में इनवाल्व किया गया है। क्योंकि आंगनबाड़ी और स्वयं सहायता समूह एक ही जगह के होते हैं। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नैफेड) के गोदाम से सीधा आंगनबाड़ी केंद्र पोषाहार भेजा जाता है। ये प्रक्रिया तीन माह में एक बार होती है। शहरी क्षेत्रों में हर तीन महीने पर वितरण होता है। यानी तीनों महीने का एक साथ पोषाहार दिया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में हर माह पोषाहार बांटा जाता है।