इस बार भी भाजपा ने वर्तमान सांसद कपिल पाटील को एक बार फिर से टिकट देकर चुनाव में उतारा दिया है, जबकि कांग्रेस की यह सीट इस बार राष्ट्रवादी शरद पवार पार्टी के खाते में गई है, और राष्टवादी पार्टी ने बाल्या मामा उर्फ सुरेश म्हात्रे को प्रत्याशी बनाया है।
पूर्वांचल लाईफ / सुजीत सिंह
भिवंडी : भिवंडी लोकसभा सीट उन चर्चित सीटों में से एक रही जिस सीट को लेकर महाविकास आघाड़ी गठबंधन में कांग्रेस और राष्ट्रवादी पार्टी के बीच काफी खींचतान रहा। भिवंडी शहर भिवंडी ग्रामीण की पांच विधानसभा सीट को मिलाकर यह लोकसभा सीट पहली बार साल 2009 में अस्तित्व में आई पहली बार जब लोकसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार सुरेश टावरे ने भाजपा उम्मीदवार जगन्नाथ पाटील को 41 हजार से अधिक वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। इसके बाद वर्ष 2014 के चुनाव में बीजेपी ने वर्तमान सांसद कपिल पाटील को टिकट देकर मैदान में उतारा था। कपिल पाटील ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को 1 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। 2019 में एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी 2009 में भिवंडी लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करने वाले सुरेश टावरे को प्रत्याशी बनाया पर दूसरी बार भी भाजपा उम्मीदवार कपिल पाटील ने पहले से बेहतर प्रदर्शन करते हुए। सुरेश टावरे को डेढ़ लाख वोटों के अंतर से हराया था। इस बार भी भाजपा ने वर्तमान सांसद कपिल पाटील को एक बार फिर टिकट देकर मैदान में उतारा दिया है, वहीं दूसरी तरफ इस सीट से पहली बार राष्ट्रवादी शरद पवार पार्टी ने बाल्या मामा को प्रत्याशी बनाया है।
राष्ट्रवादी के बाल्या मामा इस किले को ढहाने में सफल हो पाएंगे ?
सुरेश म्हात्रे उर्फ बाल्या मामा वर्तमान में राष्ट्रवादी पार्टी में है, इसके पहले उन्होंने कई बार कई पार्टियों का दामन थामा और छोड़ा है, बाल्या मामा ने भिवंडी लोकसभा और विधानसभा दोनो का चुनाव पहले लड़ चुके है, पर हर बार उन्हें करारी हार का समाना करना पड़ा है। लगातार दो बार से भिवंडी लोकसभा सीट पर काबिज भाजपा को इस सीट से हटाना राष्ट्रवादी पार्टी के लिए काफी मुश्किल साबित हो सकता है। क्योंकि बीजेपी ने इस सीट पर दोनो बार पहले से बेहतर प्रदर्शन किया है। वहीं बाल्या मामा की उम्मीदवारी का विरोध कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं द्वारा किया जा रहा है। कांग्रेस के विरोध को देखते हुए यह संभावना बनी हुई है कि कांग्रेस पार्टी के वोटर्स राष्ट्रवादी पार्टी के उम्मीदवार को वोट करेंगे। जबकि भाजपा उम्मीदवार कपिल पाटील मोदी सरकार द्वारा किए गए विकास कार्य एवं उनके द्वारा विकास योजनाओं को गिनाते हुएं वोट मांग रहे है। इधर कल्याण शिंदे गुट शिवसेना पार्टी के पदाधिकारी ने गुस्सा जाहिर करते हुएं कहा कि बीजेपी को केवल चुनाव के समय ही शिवसेना पार्टी की याद आती है। फिर वह शिवसेना पार्टी को भूल जाते है, शिवसेना नेता ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा भिवंडी लोकसभा क्षेत्र में शिवसेना पार्टी को समाप्त करना चाहती है, इसलिए इस बार शिवसेना पार्टी भाजपा उम्मीदवार कपिल पाटील को सहयोग नही करेगी। भिवंडी लोकसभा सीट पर भाजपा और राष्ट्रवादी दोनो के ही प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर है। अब देखने बात होगी कि भाजपा अपने इस किले को बरकार रख पाती है या राष्ट्रवादी के बाल्या मामा इस किले को ढहाने में सफल हो जाएंगे।
भाजपा और राष्ट्रवादी दोनो के ही प्रत्याशियों को अपने सहयोगी दलों से मिल रही चुनौती !
एक तरफ बीजेपी , शिंदे गुट शिवसेना, अजीत पवार गुट राष्ट्रवादी, रामदास आठवले की आरपीआई पार्टियों का महागठबंधन तो दूसरी तरफ कांग्रेस , शरद पवार गुट राष्ट्रवादी और उद्धव ठाकरे गुट शिवसेना पार्टियों का महाविकास आघाड़ी गठबंधन दोनो गठबंधन महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों को हासिल करने के लिए जोर लगा रही है। वहीं दोनो गठबंधनों में सीटों के बटवारों को लेकर एक दूसरे पर दबाव बनाया जा रहा है। इसी कारण अभी तक दोनो गठबंधनों में सभी सीटों का बटवारा नही हो पाया है, वहीं कुछ ऐसी भी सीटें है, जिन पर प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही गटबंधन की पार्टियां आपस में लड़ रही है। इसी प्रकार भिवंडी लोकसभा सीट पर जहां कांग्रेस पार्टी राष्ट्रवादी पार्टी के उम्मीदवार का प्रचार नही करने और फ्रेंडली लड़ाई करने की बात कह रही है। वहीं शिंदे गुट शिवसेना भी भाजपा उम्मीदवार कपिल पाटील पर भी गठबंधन धर्म नही निभाने का आरोप लगाते हुए उनका खुलकर विरोध कर रही है। अब ऐसे में भाजपा के कपिल पाटील हो या राष्ट्रवादी बाल्या मामा दोनो उम्मीदवारों को एक दूसरे के खिलाफ लड़ने से पहले अपने सहयोगियों को अपने साथ रखने की बड़ी चुनौती है।