औषधि निरीक्षक की जांच में बंद मिली 6 दुकाने, मुकदमें की तैयारी

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नशे के कारोबार में लिप्त ड्रग माफियाओं पर शासन ने कसा शिकंजा

मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करने की कवायद

जौनपुर।
कोडिंग युक्त प्रतिबंधित कफ सिरप की अवैध खरीद बिक्री करके अरबो रुपए की कमाई करने वाले नशे के सौदागरों के खिलाफ शासन ने शिकंजा कस दिया है। प्रदेश के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन लखनऊ के निर्देश पर जिले के औषधि निरीक्षक रजत कुमार पांडेय की टीम ने गुरुवार को शहर के आधा दर्जन नामी गिरामी बड़े प्रतिष्ठानों पर छापेमारी की। अचानक हुई छापेमारी से नशे के सौदागरों में जबरदस्त हड़कंप मच गया।
कई मेडिकल स्टोर के संचालक दुकान बंद करके रफू चक्कर हो गए। जबकि कुछ ने दुकान पर हुए करोड़ों के हेरा फेरी से जुड़े रिकॉर्ड हटाने के लिए प्रतिष्ठान ही बंद कर दिया।

बावजूद इसके औषधि निरीक्षक रजत कुमार पांडेय की टीम ने शहर के घनी आबादी के बीच बेहद ही पतली गलियों और गुप्त स्थानों पर चल रहे छह बड़े प्रतिष्ठानों पर पहुंच कर पूरे दिन बेहद ही गंभीरता के साथ जनपद में औषधि अनुज्ञप्ति लाइसेंस लेकर मौके पर संचलित न होने वाले मेडिकल प्रतिष्ठानों की जांच कर वहां से काफी कुछ साक्ष्य इकट्ठा किया। जांच के दौरान मैसर्स वीआईपी डिस्ट्रीब्यूटर मुरादगंज जौनपुर, नितेश मेडिकल एजेंसी ओलंदगंज, श्री श्याम मेडिको नईगंज, महादेव एंटरप्राइजेज खरका कॉलोनी, मिलन मेडिकल हॉल बलुआघाट, श्री श्याम मेडिकल एजेंसी हुसेनाबाद देहात का निरीक्षण किया गया।

जांच टीम में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया पुलिस बल के साथ मौके पर की गई इस जांच के दौरान कई फर्म मौके पर बंद मिला। लिहाजा मौके पर जो फर्म बंद पाई गई उसको औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 एव नियमावली 1945 के अंतर्गत मौके पर नोटिस जारी कर दिया गया है। इस नोटिस में उन्हें साफ तौर पर निर्देशित किया गया है कि तीन दिन के अंदर पिछले तीन -महीने में क्रय-विक्रय किये गये समस्त औषधियों के अभिलेख अधो हस्ताक्षरी कार्यालय में तुरंत उपलब्ध कराएं।

इस संबंध में एक सवाल के जवाब में जिला औषधि निरीक्षक रजत कुमार पांडेय ने पत्रकारों को बताया कि अभिलेख और प्रमाणन नही करने वाली फर्म के लाइसेंस का निलंबन अथवा रद्द हो सकता हैं।

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अवैध रूप से कारोबार करने वाले जांच के दायरे में

जिला औषधि निरीक्षक रजत कुमार पांडेय ने बताया कि पूर्व में दो दर्जन मेडिकल एजेंसी से जुड़ी दुकानों की जांच के दौरान कई ऐसे फर्जी फार्म वाले सामने आए हैं। उस वक्त निरीक्षण के क्रम में हुए एफआईआर में बहुत सारी फर्म ऐसी थी जिन्होनें दुकान बंद कर औषधि लाइसेंस की आड़ में कोडिन युक्त कफ सिरप की अवैध खरीद-बिक्री की है। जबकि प्रतिष्ठान हमेशा बंद रखती हैं और उनकी औषधि लाइसेंस वैध हैं ऐसी स्थिति में प्रबल आशंकाएं होती हैं कि वह गलत गतिविधि में शामिल होकर अवैध रूप से औषधियों का व्यापार मैं संलिप्त हैं। ऐसे कफ सिरप तस्करी के धंधे में जुड़े नशे के सौदागरों को अलग से चिन्हित कर उनके खिलाफ और भी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की तैयारी चल रही है।

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तीन दिन में समर्पण कराएं लाइसेंस

शासन की आंख में धूल झोंक कर दवा कारोबार का लाइसेंस लेकर नशे का कारोबार करने वाले अब किसी भी हालत में बच नहीं पाएंगे। प्रदेश शासन के निर्देश पर जिला औषधि निरीक्षक रजत कुमार पांडेय की टीम ने जिले के ऐसे सभी व्यापारी को पूरी तरह से चिन्हित करने का काम युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया है। उन्होंने मीडिया को बताया कि जिन्होने औषधि अनुज्ञाप्ति प्राप्त किया है। परंतु दुकान चलाने में असमर्थ है वह अपना लाइसेंस स्वयं समर्पण कर दे। अन्यथा की दशा में लाइसेंस निरस्त कर वैधिक कार्यवाई की जा सकती है। क्योंकि पूर्व की जांच में कई ऐसे मेडिकल स्टोर्स को चिन्हित किया गया जो लाइसेंस लेकर मेडिकल स्टोर का संचालन नहीं कर रहा है, मौके पर दुकान की शटर बंद रहती है।

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