बिंद्राबाजार समेत पूरे क्षेत्र में गूंजी आस्था की गूंज
संवाददाता अशोक विश्वकर्मा
बिंद्राबाजार (आजमगढ़)।
चार दिन तक चले आस्था, श्रद्धा और सनातन संस्कृति के महापर्व छठ पूजा का मंगलवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही विधिवत समापन हो गया। भक्ति और विश्वास से सराबोर घाटों पर व्रती महिलाओं ने सूर्य देव और छठी मैया से संतान की दीर्घायु और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।
बिंद्राबाजार सहित गंभीरपुर थाना क्षेत्र के विभिन्न घाटों—जैसे बाबा विश्वनाथ दास मंदिर घाट, प्राचीन शिव मंदिर गंभीरपुर, अगवानी माता मंदिर रानीपुर रजमो, बिषया, बेलऊ, बसीरहा, दयालपुर, कलंदरपुर, भवतर, मोतीपुर, गोसाई की बाजार और उत्तरगांव आदि स्थानों पर मंगलवार सुबह से ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। वातावरण “छठ मइया की जय” के जयघोष से गुंजायमान रहा।
इस अवसर पर बिंद्राबाजार में पूर्व मंत्री डॉ. कृष्णमुरारी विश्वकर्मा, पूर्व ब्लॉक प्रमुख एवं वर्तमान जिला पंचायत सदस्य श्रीमती ज्योति विश्वकर्मा, पूर्व जिला पंचायत सदस्य विजय विश्वकर्मा सहित क्षेत्र के कई सम्मानित लोग उपस्थित रहे और व्रतधारिणी महिलाओं के बीच प्रसाद वितरण कर उनके साथ पर्व की मंगलकामना साझा की।
पंडित पद्माकर मिश्रा ने बताया कि छठ का चार दिवसीय पर्व नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य के क्रम में संपन्न होता है। अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती अपने व्रत का पारण करते हैं। उन्होंने कहा कि यह पर्व केवल पूजा नहीं, बल्कि आत्मसंयम, शुद्धता और कृतज्ञता का प्रतीक है।
विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी बिंद्राबाजार निवासी शिवप्रसाद मोदनवाल एवं उनके सहयोगियों ने रामजानकी मंदिर परिसर से लेकर घाटों और बाजारों तक बेहतर व्यवस्था की। वहीं विनोद मोदनवाल द्वारा घाटों और पूरे बाजार में आकर्षक लाइटिंग की व्यवस्था की गई, जिससे संध्या और प्रातःकालीन अर्घ्य के समय पूरा क्षेत्र आलोकित रहा।
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा। गंभीरपुर थाना प्रभारी ने बताया कि “पूरे थाना क्षेत्र के घाटों पर पुलिस बल के साथ महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी। लगातार गश्त व भ्रमण जारी रहा। कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली। सभी घाटों पर शांति व श्रद्धा का माहौल रहा।”
चार दिनों तक चली यह लोकआस्था की अनुपम साधना मंगलवार को उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न हुई, लेकिन भक्तों के मन में छठ मइया के गीतों और भक्ति की मिठास देर तक बनी रही।
