जौनपुर मानवता और दोस्ती का अनोखा उदाहरण पेश कर रहे हैं पिलखिनी गांव निवासी आतिम सिंह, जो वर्ष 2017 से कैंसर पीड़ितों के लिए समर्पित रूप से कार्य कर रहे हैं। उनका यह सामाजिक अभियान व्यक्तिगत पीड़ा और दोस्ती की एक मार्मिक कहानी से जुड़ा है।
आतिम सिंह के प्रिय मित्र सलीम, कैंसर से पीड़ित थे। इलाज के अभाव में सलीम का जीवन असमय समाप्त हो गया। सलीम की असहाय मौत ने आतिम सिंह के मन में ऐसा दर्द और संकल्प पैदा किया, जिसने उन्हें जिंदगी भर कैंसर पीड़ितों की मदद के लिए समर्पित कर दिया।
आज आतिम सिंह रेलवे क्रॉसिंग, सड़क किनारे, बस अड्डों और सार्वजनिक स्थलों पर 10 से 15 घंटे खड़े रहकर लोगों से मदद जुटाते हैं। वे “ऑल इंडिया” स्तर पर कैंसर मरीजों के लिए कार्य करते हैं, और किसी भी शहर या राज्य में कैंसर पीड़ितों के लिए आर्थिक सहायता जुटाने हेतु खुद खड़े होकर अपील करते हैं।
उनकी बेटी नेहा सिंह वर्तमान में हरियाणा में प्रोफेसर हैं, और पिता के इस मिशन पर गर्व करती हैं। लेकिन आतिम सिंह का कहना है, “मुझे नेहा की नहीं, हर उस बेटी की चिंता है, जो अपने पिता को कैंसर से खो सकती है, जैसे मैंने सलीम को खोया।”
आज के समय में जहां लोग अपनी ज़िंदगी की व्यस्तता में दूसरों के दुःख को भूल जाते हैं, वहीं आतिम सिंह जैसे लोग समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी यह पहल न सिर्फ कैंसर पीड़ितों को राहत देती है, बल्कि समाज को यह याद भी दिलाती है कि दोस्ती सिर्फ साथ बिताए पलों का नाम नहीं, बल्कि जीवन के संघर्षों में भी साथ खड़े होने का नाम है।