जैनेरिक दवाओं की बाजार में होड़: मरीजों की जेब पर डाका

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जैनेरिक दवाओं की बाजार में होड़: मरीजों की जेब पर डाका

मनीष श्रीवास्तव
पूर्वांचल लाइफ जौनपुर

प्रस्तावना:———-
आज के दौर में दवाइयों के बाजार में जैनेरिक दवाओं की बाढ़ देखी जा रही है। सस्ते दामों के नाम पर पेश की जाने वाली ये दवाएं बाजार में एक बड़ा बदलाव ला रही हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या ये दवाएं वास्तव में सस्ती और सुरक्षित हैं? या फिर यह होड़ मरीजों और उनकी जेब पर भारी पड़ रही है?

जैनेरिक दवाएं क्या हैं?

जैनेरिक दवाएं वे होती हैं जिनमें ब्रांडेड दवाओं के समान सक्रिय घटक होते हैं, लेकिन इन्हें अलग नाम से बेचा जाता है और इनकी कीमत भी कम होती है। इन दवाओं को आमतौर पर उसी गुणवत्ता के साथ तैयार किया जाता है, जैसा कि ब्रांडेड दवाओं में होता है।

बाजार में होड़ का माहौल

बाजार में जैनेरिक दवाओं की बढ़ती मांग के चलते कंपनियां एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश कर रही हैं। बड़ी फार्मास्युटिकल कंपनियां अब कम लागत में उत्पादन करने की दिशा में प्रयासरत हैं। हालांकि, इस प्रतिस्पर्धा में कभी-कभी गुणवत्ता से समझौता किया जाता है।

कंपनियों की रणनीति: लागत कम करने के लिए सस्ते कच्चे माल का उपयोग, जिससे दवा की प्रभावशीलता पर असर पड़ सकता है।

खुदरा विक्रेताओं की भूमिका: कुछ फार्मेसी स्टोर्स ब्रांडेड दवाओं की बजाय जैनेरिक दवाएं अधिक बेचने को प्राथमिकता दे रहे हैं, क्योंकि इन पर उन्हें ज्यादा मुनाफा होता है।

मरीजों पर प्रभाव——-

मरीजों के लिए जैनेरिक दवाएं सस्ती होने के बावजूद कुछ चिंताएं सामने आती हैं:

1.गुणवत्ता में भिन्नता: सभी जैनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं के समान प्रभावी नहीं होतीं।

2.गलतफहमी: कई मरीज सोचते हैं कि जैनेरिक दवाएं हमेशा सुरक्षित होती हैं, जिससे वे बिना डॉक्टर की सलाह के इन्हें खरीद लेते हैं।

3.खराब निर्माण मानक: कुछ कंपनियां गुणवत्ता परीक्षण को नजरअंदाज करती हैं, जिससे दवाओं में अशुद्धियां पाई जा सकती हैं।

मरीजों की जेब पर डाका

हालांकि जैनेरिक दवाएं सस्ती होती हैं, लेकिन बाजार में उनकी कीमतें कभी-कभी अनावश्यक रूप से बढ़ा दी जाती हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:

मध्यस्थों की भूमिका: वितरक और थोक विक्रेता कीमतें बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सार्वजनिक जागरूकता की कमी: अधिकांश मरीज यह नहीं जानते कि कौन सी जैनेरिक दवा वास्तव में सस्ती और प्रभावी है।

सरकार और नीति की भूमिका—-

सरकार ने जैनेरिक दवाओं के प्रसार को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि जन औषधि योजना। इसके बावजूद, नियमों के कठोर पालन और गुणवत्ता नियंत्रण की आवश्यकता बनी रहती है।

गुणवत्ता नियंत्रण: दवा उत्पादन पर सख्त नियम लागू करने की जरूरत है।

पारदर्शिता: मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता लाने से मरीजों को लाभ मिल सकता है।

निष्कर्ष:——-

जैनेरिक दवाओं की बाजार में होड़ ने दवा उद्योग को एक नई दिशा दी है। लेकिन इस प्रतिस्पर्धा के चलते मरीजों की सुरक्षा और उनकी जेब पर पड़ने वाले असर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। मरीजों को जागरूक करना, गुणवत्ता सुनिश्चित करना और नीति में सुधार ही इस मुद्दे के समाधान के मुख्य उपाय हैं।

क्या आप इस पर और जानकारी या किसी विशेष बिंदु पर विस्तार चाहते हैं?

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