ग़ज़ल

Share

गीत ग़ज़लों में कुछ बात कह लेंगे हम
इन हवाओं के विपरीत बह लेंगे हम

टूटने दे रहे धैर्य पूरी तरह
देखते हैं घुटन कितनी सह लेंगे हम

अपने पन के दिखावे से बेहतर है ये
पास अपने ठहर कर भी रह लेंगे हम

साथ सब छोड़ देंगे भँवर में मेरा
बीच मँझधार की ही पनह लेंगे हम

फ़ैसला मेरे हक़ में भी कर ज़िंदगी
एक दिन तुझसे भी तो बिरह लेंगे हम

वंदना
अहमदाबाद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!