कोर्ट ने कहा वादी पक्ष को मुकदमा दायर करने का है अधिकार
जौनपुर। जिला जज वाणी रंजन अग्रवाल ने मंगलवार को अटाला मस्जिद प्रकरण में वक्फ के सचिव की निगरानी निरस्त करते हुए आदेश दिया कि वादी पक्ष स्वराज वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष को वाद दाखिल करने का अधिकार है। अटाला मस्जिद को प्राचीन अटला देवी मंदिर बताते हुए स्वराज वाहिनी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार मिश्रा ने पीस कमेटी जामा मस्जिद व वक्फ अटाला मस्जिद के खिलाफ वाद दायर किया था जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। आदेश के खिलाफ वक्फ अटाला मस्जिद जरिए सचिव फ़ैज़ अहमद ने स्वराज वाहिनी संगठन जरिए प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार मिश्र व संतोष कुमार मिश्र के खिलाफ जिला जज की कोर्ट में निगरानी दाखिल किया और कहा कि वादी पक्ष को वाद दायर करने का कानूनी अधिकार नहीं है।
जिला जज ने निगरानी निरस्त कर दी और आदेश दिया कि वादी पक्ष वाद दाखिल कर सकता है। वाद पोषणीय है या नहीं या कोर्ट को क्षेत्राधिकार है या नहीं, इन बिंदुओं को वक्फ सचिव संबंधित कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। यह विचारण का विषय है जो उस अदालत द्वारा तय किया जाएगा जहां केस चल रहा है। संतोष कुमार मिश्रा प्रदेश अध्यक्ष स्वराज वाहिनी ने पीस कमेटी जामा मस्जिद (अटाला मस्जिद) मोहल्ला सिपाह के खिलाफ वाद दायर किया कि 13वीं शताब्दी में राजा विजय चंद्र ने अटला देवी की मूर्ति स्थापित कर मंदिर बनवाया था जिसमें लोग पूजा कीर्तन करते थे।
13वीं शताब्दी में फिरोज शाह तुगलक ने जौनपुर पर आक्रमण किया।जौनपुर पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। उसने अटला देवी मंदिर की भव्यता देखकर उसमें तोड़फोड़ कराया। हिंदू धर्मावलंबी के प्रबल विरोध के कारण पूरी तरह तोड़ नहीं पाया और मंदिर के खंभों पर ही मस्जिद का आकार दिया जो वर्तमान में अटाला मस्जिद है जहां इस्लाम धर्म के लोग नमाज इत्यादि करते हैं। सनातन धर्म के व्यक्तियों का वहां प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया। 1408 में शर्की शासक इब्राहिम शाह ने पुनः मंदिरों को मस्जिद का मुकम्मल आकार दिया। अटाला मस्जिद अटला देवी का मंदिर है,यह तथ्य इतिहासकार अबुल फजल की रचना आईने अकबरी एवं रचनाओं में पूर्णतया स्पष्ट है मंदिर के खंभों इत्यादि पर आज भी हिंदू स्थापत्य एवं वास्तुकला तथा हिंदू रीति रिवाज के चिन्ह एवं अवशेष मौजूद है। सनातन धर्मावलंबियों को वहां पूजन कीर्तन करने का अधिकार है।