“पूर्वांचल लाइफ जौनपुर”
नगर स्थित हिंदी भवन में 26 मई 2024 की शाम अमित श्रीवास्तव की सेतु प्रकाशन से सद्य: प्रकाशित पुस्तक “सिराज-ए- दिल जौनपुर” पर अनौपचारिक चर्चा एवं लेखक से संवाद कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार अजय कुमार ने की तथा मुख्य अतिथि अजीम शायर अहमद निसार रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर धीरेंद्र कुमार पटेल ने किया। कार्यक्रम में पुस्तक पर मुख्य चर्चाकार डॉ प्रतीक मिश्र ने बताया कि जौनपुर जनपद को केंद्र में रखकर लिखी गई यह पुस्तक लेखक अमित श्रीवास्तव की विलक्षण निगाह और घनी संवेदनशीलता का लैंडस्केप है। इस पुस्तक को पढ़ते हुए किसी को भी हैरानी होगी कि स्थानीय खानपान और रीत रिवाज
तथा गली मोहल्लों के बारे में जिस रोचकता से स्मृति आख्यान लिखे गए हैं उसी तरह से इतिहास में गुम किरदारों और ज्ञान विज्ञान से जुड़े प्रसंगों के बारे में भी इन सबसे लेखक का बहुश्रुत और बहुपठित व्यक्तित्व उभरता है।
शायर अहमद निसार ने पुस्तक को जौनपुर के इल्म और अदबी दुनिया को सहेजने वाली विशिष्ट पुस्तक करार दिया। उन्होने कहा कि यह पुस्तक जौनपुर की “गंगा जमुनी तहजीब” को जन-जन तक पहुंचाने में मददगार होगी। जरूर यह पुस्तक जौनपुर के “मोहब्बत के पैगाम” से भरी हुई है। अजय कुमार ने पुस्तक पर चर्चा करते हुए बताया कि इस पुस्तक में तमाम ऐसी जानकारियां हैं जो जौनपुर को समझने के लिए नए कोण पैदा करती हैं। स्मृति आख्यानों को सिर्फ़ रोचक ढंग से लिखा ही नहीं गया है बल्कि शोध करके उसको वहां तक विस्तार दिया गया है जहां पाठक का मन बिल्कुल रमण करने लगता है और एक निश्चित मुकाम पर लेखक उसे पहुंचा देता है। शाही पुल, गोमती नदी, हिंदी भवन, अटाला मस्जिद, केरार वीर, ओलंदगंज, बेनीराम की इमरती, जौनपुर की मूली,सबबे कुछ पुस्तक लेखन की रीति- नीति में समाया हुआ है। पुस्तक अद्भुत पठनीयता से भरी हुई है।
अंत में पुस्तक के लेखक जौनपुर के मूल निवासी अमित श्रीवास्तव जो भारतीय पुलिस सेवा में सेवारत हैं और देहरादून में रहते हैं। उन्होंने कई पुस्तकें “बाहर मैं” “मैं अंदर” (कविता संग्रह), पहला दखल (संस्मरण), गहन है यह अंधकार (उपन्यास) कोतवाल का हुक्का (कहानी संग्रह) भूमंडलीकरण और समकालीन हिंदी कविता (विचार), और कोविड ब्लूज (डायरी) लिखी है। लेखक अमित श्रीवास्तव ने उपस्थित लोगों से पुस्तक पर संवाद किया और पाठकों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का जवाब भी दिया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से लेखक के पिता श्री कन्हैयालाल श्रीवास्तव, ओ०पी० खरे, आर०पी० सोनकर, गिरीश श्रीवास्तव गिरीश, राजेश पाण्डेय, अनिल उपाध्याय, अरविंद सिंह बेहोश, प्रतिमा मौर्य, अशोक मिश्र, रामजीत मिश्र, संजय सेठ, अरविंद सिंह, विशाल गुप्ता, तुषार मोहन श्रीवास्तव अभिनव, अमित श्रीवास्तव, रामेश्वर त्रिपाठी, अश्वनी तिवारी, सुशील मिश्रा, संजय सिंह आदि उपस्थित रहे।