सोशल मीडिया पर महिलाओं को गुमनाम लोगों की ओर से ब्लैकमेल करने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। उनकी निजी जानकारियां, तस्वीरें सोशल मीडिया साइट रेडिट पर साझा की जा रही हैं। आजकल मातृत्व चित्रण पर लोग उनकी न्यूड फोटो सोशल मीडिया में शेयर कर रहे है, वह चित्र इतने भद्दे लगते हैं, जिसे देखकर महिलाएं भी शर्मशार हो जाए। महिलाओं के गर्भावस्था के दौरान की कुछ फोटो शूट नग्नता के आधार पर पेश किए जा रहे हैं। तस्वीरों के नीचे पुरुषों के अश्लील कमेंट जिनमें रेप की धमकियां शामिल है। महिलाओं की सैंकड़ों प्रोफ़ाइल सोशल मीडिया में मौजूद हैं, जिसे शेयर किया जा रहा है और बेचा जा रहा है। इन सभी को बिना महिलाओं की इजाज़त के यहां पोस्ट किया जाता है। तस्वीरों के साथ फ़ोन नंबर समेत दूसरी जानकारियां भी लोग आपस में शेयर कर रहे हैं।इससे महिलाओं की निजता पर सवाल उठना लाजमी है। इंस्टाग्राम पर क्रॉप टॉप में महिलाओं की तस्वीरों को पोस्ट करने के बाद उन्हें बलात्कार की धमकियां दी जाती है। ना जाने सोशल मीडिया में कितनी ऐसी अलग-अलग साइट्स है जहां पर सभ्य महिलाओं की भी तस्वीरें न्यूड तस्वीरों में बदलकर पेश कर दी जाती है। जब उन महिलाओं को यह सब पता चलता है तो वह शर्म के मारे आत्महत्या का रास्ता अपनाने लगती है। समाज की विडंबना है कि लोग अपने घर की बहू बेटियों को पर्दे में रखना चाहते हैं परंतु बाहर दूसरे के घर की बहू बेटियों के साथ अश्लील हरकत करते हुए नजर आते हैं। महिलाओं के नाम से फेंक अकाउंट बनाकर लोग अश्लील बातें करते हैं जिसमें उस महिला के नाम का दुरुपयोग होता है।अश्लीलता एक प्रकार का दिमागी प्रदूषण है और समाज को बड़े पैमाने पर प्रभावित करने वाली एक सामाजिक समस्या है। इसे किसी भी तस्वीर, फोटोग्राफ, आकृति, लेख, लेख, वीडियो, आदि के रूप में परिभाषित किया जा सकता है या एक सार्वजनिक कार्य जो मन को दूषित या भ्रष्ट करता है और जो कामचलाऊ हितों के लिए अपील करता है या जो स्वीकार्य सामाजिक नैतिक मानकों के खिलाफ है, उसे कहा जाएगा। अश्लील और अश्लील, देर से ही सही, मीडिया ने अर्ध-नग्न विज्ञापनों, वीडियो-ग्राफी, सॉफ्ट-पोर्न के रूप में समाचार और बहुत कुछ के माध्यम से अश्लीलता को बढ़ावा देने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। वे थोड़े और प्रसार, पाठकों की संख्या, दर्शकों की संख्या और थोड़े और पैसे के लिए निश्चित रूप से एक पूरी पीढ़ी के मूल्यों को दांव पर लगा रहे हैं। 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति आपकी मर्जी के बिना एकांत में या सार्वजनिक स्थानों पर न तो फोटो ले सकता है और न ही वीडियो बना सकता है। यदि कोई व्यक्ति इरादतन ऐसा करता है तो भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66-ई, धारा 67, धारा 67-ए, भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 354, 354-सी और 509 में सजा और आर्थिक दंड दोनों का ही प्रावधान किया गया है। यदि किसी महिला के निजी पलों का वीडियो या फोटो लेना, जिससे वह असहज महसूस करती हो तो आईटी एक्ट की धारा 66 ई के तहत ऐसे व्यक्ति को 3 साल की सजा एवं 2 लाख तक का जुर्माना हो सकता है। इस तरह के मामलों में यदि महिला चेंजिंग रूम में है, वॉशरूम में है या फिर महिला बच्चे को स्तनपान करा रही हो और कोई फोटो या वीडियो बनाता है और उसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से फॉरवर्ड करता है तो उसे कारावास एवं अर्थदंड दोनों हो सकता है। छात्राओं और महिलाओं को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। अपने निजी पलों की फोटो या वीडियो लेने की किसी को भी अनुमति न दें। या फिर कोई ऐसा करने की कोशिश कर रहा है तो उसे तत्काल ऐसा करने से रोकें। चाहे वह आपका कितना भी करीबी व्यक्ति क्यों न हो। आपत्ति जनक विडियोज़ डालने की सज़ा के लिए कुछ प्रावधान आई पी सी के अंतर्गत भी बनाये गए हैं। किसी आपत्ति जनक वीडियोज़ जिसमे साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया जाता हो या अश्लीलता फैलाई जाती हो तो इसके लिए धाराएं 153A,153B,292,295A और 499 के तहत व्यक्ति पर कार्यवाही की जा सकती है – पूजा गुप्ता मिर्जापुर “उत्तर प्रदेश”
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