ब्रिटिश कानूनों को अलविदा! नए भारतीय आपराधिक कानूनों से न्याय प्रणाली में आई क्रांति

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तकनीक और पारदर्शिता से सशक्त हुआ कानून – 1 जुलाई से लागू हुई नई न्याय व्यवस्था

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ब्रिटिश कालीन कानूनों की जगह देश में लागू हुई तीन नई भारतीय संहिताएं – न्याय प्रक्रिया में डिजिटल क्रांति की शुरुआत

वेद प्रकाश शुक्ला/पूर्वांचल लाइफ संवाददाता
जौनपुर/भदोही।
देश में अपराध और न्याय व्यवस्था को अधिक पारदर्शी, त्वरित और तकनीक आधारित बनाने के उद्देश्य से 1 जुलाई 2024 से तीन नए आपराधिक कानून लागू किए गए हैं। इन कानूनों ने ब्रिटिश कालीन तीन प्रमुख कानूनों – भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Evidence Act) – की जगह ले ली है।

अब देशभर में भारतीय न्याय संहिता (B.N.S.) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (B.N.S.S.) 2023, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (B.S.A.) 2023 लागू हैं। इन कानूनों का मुख्य उद्देश्य है – त्वरित न्याय, नागरिक हितों की सुरक्षा, और तकनीकी पारदर्शिता को बढ़ावा देना।

त्वरित न्याय के लिए नई व्यवस्था

अब चार्जशीट तय समय सीमा के भीतर दाखिल करना अनिवार्य कर दिया गया है। नागरिक किसी भी थाने में Zero FIR दर्ज करा सकते हैं, वहीं ई-एफआईआर, ई-समन, और डिजिटल रिकॉर्ड जैसी आधुनिक सुविधाओं से शिकायत और जांच प्रक्रिया को आसान बनाया गया है।

तकनीक आधारित पुलिसिंग

नए कानूनों के तहत CCTV फुटेज, मोबाइल डेटा, और ईमेल जैसे इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य अब कानूनी रूप से मान्य होंगे। सभी जांच और सुनवाई प्रक्रियाएं डिजिटल रिकॉर्ड के आधार पर होंगी, जिससे फर्जीवाड़े की संभावना न्यूनतम होगी।

नागरिक हित में सशक्त बदलाव

अब पीड़ित व्यक्ति को जांच की प्रगति की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार मिलेगा। महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर सख्त प्रावधान किए गए हैं। साथ ही भीड़ हिंसा (Mob Lynching) और संगठित अपराध (Organized Crime) के लिए स्पष्ट और कठोर सजा का प्रावधान किया गया है।

गंभीर अपराधों पर कठोर सजा, छोटे अपराधों पर सुधारात्मक दृष्टिकोण

आतंकवाद, बलात्कार और मॉब लिचिंग जैसे गंभीर अपराधों के लिए सख्त दंड का प्रावधान है, जबकि छोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा (Community Service) जैसी व्यवस्था लाई गई है ताकि अपराधी समाज में सुधारात्मक भूमिका निभा सके।

पारदर्शिता और जवाबदेही

पुलिस को अब किसी भी गिरफ्तारी का कारण लिखित रूप में बताना अनिवार्य होगा। वहीं तलाशी और जब्ती की विडियोग्राफी करना जरूरी है। इससे न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता और पुलिस की जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
नागरिक क्या करें

किसी अपराध की सूचना तुरंत ऑनलाइन या निकटतम थाने में दें।

एफआईआर की प्रति निःशुल्क प्राप्त करें।

सरकारी वेबसाइटों से सही जानकारी लें।

जांच में सहयोग करें – डिजिटल बयान अब कानूनी रूप से मान्य है।

महत्वपूर्ण हेल्पलाइन नंबर:
📞 112 – आपातकालीन हेल्पलाइन
📞 1930 – साइबर अपराध हेल्पलाइन
https://bns.bnss.bsa.gov.in

भदोही के पुलिस अधीक्षक (IPS) अभिमन्यु मांगलिक ने नागरिकों से अपील की है कि वे नए कानूनों की जानकारी रखें और न्याय प्रक्रिया में सक्रिय सहयोग दें। उन्होंने कहा कि “नए आपराधिक कानून देश में न्याय प्रणाली को अधिक सशक्त, पारदर्शी और तकनीकी रूप से आधुनिक बनाएंगे। हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह कानून की जानकारी रखे, जागरूक बने और न्याय में सहयोग करे।”

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