जोनपुर। जिले के स्वास्थ्य विभाग में बिना तनख्वाह के तैनात दो ऐसे कर्मी जो शवों को सील करने से लेकर चीरफाड़ करने तक का उनके परिजनों से रुपये पैसा लेने को मनजबूर इस लिए है कि उन्हें बिना तनख्वाह के विगत दस वर्षों से केवल इस लिए रखा गया है कि दुर्घटनाग्रस्त लाश को अमर शहीद उमानाथ सिंह जिला चिकित्सालय के लाश घर में रखने से लेकर लाश का चीरफाड़ करने तक दो सगे भाइयों को रखा गया है जो अपने पापी पेट से लेकर परिवार का पेट भरने के लिए ऐसा काम करने को मजबूर है जो कोई भी आम इंसान के बस की बात नहीं है। कोई भी इंसान इस काम को करने से पहले अपने कलेजे पर पत्थर रखकर ही ऐसा काम करेगा।
बताते चलें कि नगर के पचहटियां स्थित चीर घर में दुर्घटनाओं से सम्बन्धित पहुँची लाशों को सील करने से लेकर पोस्टमार्टम के नाम पर आखिर कौन दो व्यक्ति पीड़ित परिवार वालो से पाँच सौ रुपये से लेकर एक हजार रुपये की करते हैं डिमांड। आपको बताते चलें कि जौनपुर जिले के नगर स्थित पोस्टमार्टम हाउस में लाश का चीरफाड़ करने के लिए दो सगे भाई लालू और नदीम को तैनात किया गया हैं। बताते चलें कि जिन्हें स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे काम के लिए बिना तनख्वाह के रखा गया है। लालू ने बताया हैं कि लाशों को सील करने से लेकर चीरफाड़ करने तक पीड़ित परिवार वालो से पाँच सौ रुपये से लेकर एक हजार रुपये की डिमांड करने पर हम लोग मजबूर है क्योंकि हम दोनों भाइयों को सरकार द्वारा तनख्वाह नहीं मिलती है। कहा कि इस काम को करने के लिए हम लोगों को सरकार द्वारा किसी प्रकार का कोई वेतन नहीं मुहैया कराया जाता हैं जिसके कारण दुःख के मारे परिवार वाले से रुपये पैसो की डिमांड पूरी कर अपने परिवार वालो की जीविका चलाने को मजबूर हैं हम दोनों भाई।
बड़ी हैरत की बात यह है कि परिवार में किसी सदस्य के साथ कोई हादसा हो जाए या उन पर दुखों का पहाड़ टूट जाए इन सब बातों का जिला अस्पताल में लाश घर एवं चीर घर पर बिना तनख्वाह पर तैनात चीरफाड़ करने वाले उन दोनों भाइयों को इससे कोई मतलब नहीं होता है उसे तो बस लाश का चीरफाड़ करने से पहले जब तक उसकी डिमांड पूरी नहीं हो जाती तब तक वह लाश को सील करने से लेकर चीरफाड़ नहीं करते।
ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसे काम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा दो सगे भाइयों को विगत दस वर्षो से बिना तनख्वाह रखकर उन दोनों भाइयों का शोषण किया जा रहा हैं जबकि ऐसे स्थान पर कार्य कराने के लिए विभाग द्वारा दोनों को कर्मचारी के रूप में तैनाती कर तनख्वाह मुहैया करायी जानी चाहिए, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों की लापरवाही का खामियाजा पीड़ित परिवार वालों को भोगना पड़ रहा है जो अत्यंत दुःखद और शर्मनाक है।