कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय नें कहा शैक्षिक संस्थाओं का राजनीतिकरण बंद करें भाजपा
क्या राजनीतिक व्यक्तियों को उच्च संस्थाओं में ईसी के पदों पर बैठाना उचित
पंकज सीबी मिश्रा/पूर्वांचल लाईफ
वाराणसी : कभी – कभी लगता है राजनीति नें नैतिकता का दमन कर दिया है। सदन से सड़क तक सवाल पूछनें के लिए मशहूर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय नें, केंद्र सरकार से काशी हिंदू विश्वविद्यालय ( बीएचयू ) में एक्जीक्यूटिव काउंसिल (कार्यकारी परिषद) के गठन में तीन राजनैतिक व्यक्तियों के चयन पर सवाल उठाया है। बीएचयू में चार साल बाद ईसी के गठन में शामिल सदस्यों ने नाम पर अब सोशल मिडिया पर भी सवाल उठने लगे है। वर्ष 2021 के बाद केंद्र सरकार ने 23 जुलाई को बीएचयू में एक्जीक्यूटिव काउंसिल का गठन किया। चार साल बाद हुए कार्यकारी परिषद के गठन के सम्बन्ध में प्रवीर सक्सेना, अवर सचिव, भारत सरकार, शिक्षा मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग ने बीएचयू के रजिस्टार को पत्र भेजा है। कार्यकारी परिषद में पूर्व सांसद, चंदौली डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, महापौर (वाराणसी नगर निगम) अशोक तिवारी, शिक्षाविद, समाजसेवी एवं चेयरमैन, आदर्श जनता महाविद्यालय, चुनार, मिर्जापुर दिलीप पटेल, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह, प्रो. ओमप्रकाश भारती (समाजशास्त्र) बीएचयू, प्रो. श्वेता प्रसाद, (समाजशास्त्र) बीएचयू, प्रो. (सेवानिवृत्त) बेचन लाल प्राणी विज्ञान (बीएचयू), और प्रो. (सेवानिवृत्त) उदय प्रताप शाही (रेडियोथेरेपी एवं विकिरण चिकित्सा) बीएचयू का नाम शामिल है। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने केंद्र की भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा है। बतौर सोशल मिडिया अब तक के इतिहास में पहली बार ईसी में नेताओं को शामिल करने पर विवाद गरमा गया है। अजय राय ने तो यहाँ तक कहा कि पहले कुलपति थे तो एक्जीक्यूटिव काउंसिल (ईसी) नहीं, अब ईसी है तो स्थाई कुलपति तक नहीं मिल रहें।अजय राय ने कहा कि बीएचयू के कार्यकारी परिषद की नियुक्ति शैक्षणिक उत्कृष्ट लोगों की जगह पूर्व केंद्रीय मंत्री, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष, शहर के मेयर का चुनाव शैक्षणिक संस्थाओं को पतन के ओर लें जाने का कुत्सित प्रयास है। बीएचयू में आरएसएस समर्थित एक ही विभाग के दो प्रोफेसर को जगह देना, विश्व विख्यात विश्वविद्यालय को बर्बाद करने और आरएसएस का कार्यालय बनाने जैसा हैं। एक्जीक्यूटिव काउंसिल (कार्यकारी परिषद) विश्वविद्यालय का प्रमुख कार्यकारी निकाय है। और इस परिषद का आरएसएस करण नहीं होने दिया जाएगा। सोशल मिडिया पर भी लोगो नें प्रश्न पूछा है कि क्या जिन नेताओं को शामिल किया गया वह शिक्षाविद् है ? उधर अजय राय ने आगे कहा कि कार्यकारी परिषद के गठन में शिक्षाविद ,कुलपति, वैज्ञानिक, शिक्षा जगत के महत्वपूर्ण लोगों जिन्हें पद्म श्री अवॉर्ड या देश के महत्वपूर्ण सम्मान के अलंकृत किया जाता हो उन्हें शामिल किया जाए। परन्तु बीएचयू का आरएसएसकरण कर चुकी केंद्र की भाजपा सरकार ने अपने पुराने रवैए को दोहराते हुए फिर से निम्न स्तर का कार्य किया। बीएचयू शोध और अध्ययन का विश्व स्तरीय केंद्र है। ऐसे में भाजपा के जिन तीन नेता जिन्हें कार्य परिषद में शामिल किया गया है क्या वह अनुकरणीय शिक्षाविद् है? सबसे बड़ा प्रश्न यह है की मोदी सरकार की नीति में शिक्षा का कोई स्थान है ही नहीं क्योंकि लगातार शिक्षा का कुठाराघात केंद्र की मोदी सरकार पर लगातार प्रश्न खड़ा कर रहा है और महामना की बगिया का लगातार आरएसएस करण किया जा रहा है और स्थिति इतनी भयावह है की बीएचयू शिक्षा का नहीं बल्कि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है।अजय राय नें बीजेपी को घेरते हुए कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं में चारों तरफ अव्यवस्था, भ्रष्टाचार का अंबार है। बीएचयू जैसे देश के प्रतिष्ठित संस्थान में आज इंसाफ और नैतिकता का गला घोंटा जा रहा है। कार्यपरिषद का राजनीतीकरण करना दुर्भाग्यपूर्ण है हम मांग करते है की तत्काल इस परिषद का राजनीतीकरण बंद हो और योग्य व्यक्तियों को परिषद् का सदस्य बनाया जाए।