जौनपुर। जिले के नगरवासी इन दिनों मच्छरों के कहर से जूझ रहे हैं। गर्मी और मानसून के मौसम में मच्छरों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, जिससे नगरवासियों की दिनचर्या पर असर पड़ने लगा है। लोग मच्छरों से बचने के लिए तमाम जतन कर रहे हैं, लेकिन मच्छरों की बढ़ती संख्या के कारण वे राहत महसूस नहीं कर पा रहे हैं। मच्छरों को मारने वाली रिफिल हुई नाकाम।
मच्छरों के बढ़ने से डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ गया है। खासकर रात के समय मच्छरों के काटने से लोग परेशान हैं, और कई बार ये मच्छर खतरनाक बीमारी फैलाने का कारण बनते हैं।
सम्बंधित विभाग की लापरवाही—
इन समस्याओं के बावजूद, नगर परिषद और स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा मच्छरों से निपटने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। नगरवासियों का आरोप है कि मच्छरों से बचाव के लिए दवा का छिड़काव करने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जबकि यह छिड़काव समय-समय पर किया जाना चाहिए था, ताकि मच्छरों की संख्या नियंत्रित की जा सके।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले इस तरह के छिड़काव कार्य नियमित रूप से किए जाते थे, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है। विभागीय अधिकारियों की ओर से कोई सकारात्मक पहल नहीं दिखाई दे रही है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य पर संकट—–
मच्छरों के बढ़ते प्रकोप ने जौनपुर जिले में स्वास्थ्य संकट को और गहरा दिया है। अस्पतालों में डेंगू और मलेरिया के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, और स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है। हालांकि, अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था मौजूद है, लेकिन बीमारियों के फैलने से निपटने के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
नगरवासियों की मांग——–
नगरवासी प्रशासन से यह मांग कर रहे हैं कि मच्छरों की समस्या से जल्द से जल्द निपटा जाए और दवा का छिड़काव तत्काल शुरू किया जाए। साथ ही, नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग को इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए एक ठोस योजना बनानी चाहिए, ताकि भविष्य में मच्छरों की संख्या पर काबू पाया जा सके।
उनका कहना है कि प्रशासन की लापरवाही से सिर्फ मच्छरों की संख्या ही नहीं बढ़ रही, बल्कि इसके कारण होने वाली बीमारियों से भी लोग परेशान हो रहे हैं।
निष्कर्ष——–
अगर प्रशासन इस समस्या पर गंभीरता से ध्यान नहीं देता तो स्थिति और भी खराब हो सकती है। मच्छरों के बढ़ते प्रकोप के साथ-साथ स्वास्थ्य संकट भी गहरा सकता है। नगरवासियों का यह हक है कि उन्हें सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण मिले, और इसके लिए प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।