एच०आई०वी० एड्स, बनाम चुनौतियों की श्रृंखला – सीमा सिंह

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पूर्वांचल लाइफ/जौनपुर

जीरो पेसेंन्ट (1959) से आज तक के समय को एच०आई०वी०/एड्स के परिपेक्षय में देखा जाय तो बेहद डरावना और सनसनीखेज है, “गैटेन दुगास” जिन्हें पहला संक्रमित व्यक्ति माना जाता है। 1959 में गैटेन दुगास उन पाँच लोगों की टीम के एक व्यक्ति थे जो समलैंगिक और सकमित थे। मि० गैटेन दुगास कैनेडियन फ्लाइंट के अटेण्डेंट थे। ऐसा माना जाता है कि मि० दुगास ने जान बूझ कर लोगों के साथ शारीरिक सम्बन्ध स्थापित किये, जिससे सक्रमण और फैल सके। थूगांडा का एक गांव जिसे शापित माना जाता है। उसका नाम कोपेनस था। जहाँ लोग बहुत तेजी से मरने लगे। विश्व का अधिक संक्रमित विवादित गांव माना गाय। 1986 में संक्रमण वाले रहस्यमई बायरस को नाम मिला। डा० “गैलो” ने नाम दिया हयूमन अम्यूनो डिफिसियेन्सी वायरस फिर 1988 से विश्व एड्स दिवस मनाया जाने जगा। फिर में जागरूकता के अलावा एड्स संक्रमित लोगों की मृत्यु पर श्रद्धांजली भी दिया जाता है। विकसित स्वास्थ्य व्यवस्था वाला भारत एड्स संक्रमण से निरन्तर लड़ने में नवीन तकनीकी संसाधनों में लगा है। लक्ष्य है कि किसी भी तरह क्षैतिज प्रवाह को रोकना भारत में पहला व्यक्ति संक्रमित चेन्नई में 1986 में मिला। तब से ही रोकने का प्रयास निरन्त है। मुख्य चार कारणों में ही बचाव की तकनीकी छुपी है। जिन कारणों से हो जाता है संक्रमण बस उन्हीं कारणों से बचाव ही वो टूल्स है। निडिल सिरिंज के साझा प्रयोग पर बहुत हद तक रोकथाम होने के बाद भी एक नया शौक युवाओं में अत्यधिक देखा जा रहा है। जो सच में बेहद चुनौतीपूर्ण है। वो है टैटू या गोदना कह सकते हैं। ब्लड बैंक पर परीक्षण के उपायों को ज्यादा प्रभावी बनाते हुए एच०आई०वी० के साथ जीवन यापन करने वाले लोगों को सन्तान उत्पत्ति को रोकने के लिए भारत सरकार के निति विशेषज्ञों को ध्यान देना चाहिए। क्योंकि संक्रमण के साथ जीवन बिताने वाले लोग ज्यादातर अनपढ़ पाये गये और सन्तान उत्पत्ति ही वो अपना राष्ट्रीय कर्तव्य समझते हैं। यदि गर्भधान को रोकने के लिए कुछ ज्यादा प्रभावी स्ट्रेटिजि बनाई जाये तो और सन्तोषजनक परिणाम

प्राप्त होंगे। (लेखिका का व्यक्तिगत अनुभव है)

1992 में एड्स कन्ट्रोल कमेटी के बनने के बाद निरन्तर प्रभावी तकनीकी का प्रयोग कर के संक्रमण को पूरी तरह से रोकने का प्रयास होता रहा है। विगत दिनों भारत सरकार की स्ट्रेटिजि संकमित रोगियों यानी पाजिटिव पॉकेट का खेजना और सूचि बनाना, उन्हें सेन्टर तक बुलाना जिससे की राकथाम प्रापर हो सके, जिसका नाम ट्रिपल 95 रखा गया।

तकनीकी सूत्र रोकथाम के लिए

स्टीमेट पापुलेशन को लाकर या जा कर जाँच करवाया जाय।

संकमित पाये जाने वाले व्यक्तियों को ए०आर०टी० सेन्टर से लिंक करवाया जाय। ए०आर०टी० पर जोड़कर कर वायरल लोड को सेप्रेट करवाया जाय।

और इसके बाद नियमित दवा लेना बताया जाय

सन्तुलित भोजन के बारे में बताया जाय परिवार नियोजन के शूत्र पर भी परिचर्चा किया जाय

उन्हें हक और अधिकर के बारे में भी पूछने पर बताया जाय सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाया जाय

किसी भी तरह के भेदभाव या कलंक से बचाया जाय

यदि हो वो तनाव में तो परामर्श देकर बनाव से बचाया जाय।

स्वास्थ्य और नियमित जीवन शैली के मायने समझाया जाय संक्रमित व्यक्ति स्वयं संक्रमण रोकने में आगे आये

ऐसी भावना जगाया जाय राष्ट्र सर्वोपर्य है राष्ट्रीयता को समझकर जनता में सन्देश दिया जाय कि जानकी ही बचाव है।

ये वायरस विदेशी है इसे देश से भगया जाय, राष्ट्र को बचाया जाय

(सीमा सिंह)

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