“ग़ज़ल”

Share

बुझी तक़दीर से अब बात करना
मेरी तहरीर से अब बात करना

जो अपने आप तुमने बाँध ली है
उसी ज़ंजीर से अब बात करना

उदासी ऊब इतना अजनबीपन
इसी तासीर से अब बात करना

मुझे ख़ामोश रहना …कह रहे हो
मेरी तस्वीर से अब बात करना

“वंदना” अहमदाबाद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!