पूर्वांचल लाइफ “पंकज कुमार मिश्रा”
जौनपुर ! सरकार एक तरह से जनता के टैक्स के पैसों कों बर्बाद कर रहीं। वाराणसी का दीनदयाल अस्पताल और जौनपुर का सदर अस्पताल, राजकीय अस्पताल के रूप में संचालित है जहाँ हर वर्ग, हर धर्म जाति, सम्प्रदाय और आर्थिक विपन्न और सम्पन्न मरीज प्रतिदिन ईलाज के लिए आते है। किन्तु दोनो अस्पतालों की दवा और चिकत्सकीय व्यवस्था देख मन खिन्न सा हो गया। जनपद के पत्रकार पंकज सीबी मिश्रा ने बताया की इस सप्ताह दोनो अस्पतालों में पहुंच वहां के व्यवस्था का अवलोकन और रिपोर्टिंग करने का अवसर मिला। सबसे आश्चर्यजनक चीज तो यह मिली की दवा काउंटर सभी प्रकार के मर्ज के लिए एक समान और उसमें भी वहीं दवाएं सबको थमाई जा रहीं जो बेहद कॉमन और विटामिन और मिनराल युक्त है अर्थात अगर किसी कों त्वचा रोग है तो उसे आयरन, किसी कों हड्डी से दिक्कत तो उसे आयरन, कैल्शियम किसी कों माइनर फ्रैक्चर है तो उसे आयरन कैल्शियम के साथ सस्ता वाला सुलभ मलहम और अगर किसी कों लिवर इन्फेक्शन तो उसे भी सेम दवा साथ में पैरासीटामाल। आखिर लाखों का तन्खवाह देकर डॉक्टरों की नियुक्ति और हजारों कर्मचारियों की नियुक्ति का क्या मतलब ज़ब दवा ही अच्छी और मर्ज के हिसाब से नहीं। दीनदयाल राजकीय चिकत्सालय वाराणसी में तो आलम यह की वहां का कंपाउंडर तक पर्ची पर सलाह देकर पेसेंट कों रफा दफा करता दिखा। डॉक्टर साहब ने एक मरीज के पर्ची पर एक्सरे लिखा। ज़ब वह ट्रामा सेंटर के एक्सरे काउंटर पर पहुंचा तो उससे कहां गया कल आना चुकि वहीं बगल में मै भी खड़ा था, ज़ब उसे पता लगा की मै पत्रकार हूँ तो उसने बड़ी उम्मीद से गुहार लगाई की भईया आजमागढ़ से भाड़ा देकर आयल है फिर काल बुलावत हयन। मैंने उन्हें ढाढ़स दिया और काउंटर पर उनकी पर्ची देते हुए खुद को उनका रिस्तेदार कहा तब जाकर शाम 4 बजे रिपोर्ट देने को तैयार हुआ। ऐसी व्यवस्थाओं का क्या लाभ जहाँ ना मरीज का ईलाज ठीक से हो रहा ना जाँच और सरकार इनपर करोड़ों खर्च कर खुद से खुद की पीठ थपथपा रहीं। सदर अस्पताल जौनपुर में भी यहीं स्थिति की अगर आपको ब्लड जाँच करानी है तो खून दे दीजिए एक सिरिंज पूरा भर कर लेंगे इंटरशिप करने वाले और बोलेंगे कल आइये। अर्थात कोई मरीज अगर पचास किलोमीटर से आया है तो वह केवल रिपोर्ट के लिए चक्कर काटे। दवाओं में भी बाहर की दवाएं लिखना बंद हुआ तो उठा कर वहीं समान्य जड़ बुखार और विटामिन की गोलियां दी जा रहीं जो नाकाफी है और लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल रहीं। राजकीय होमियोंपैथी मुफ़्तीगंज पर तो ना डॉक्टर मिले ना स्टॉफ मिला। दवाखना बगल के दुकान का नाई चलाता मिला और पूछे जाने पर बोला वार्ड बॉय और स्टोर संचालक मीटिंग पर गए हुए है। इतनी बदतर स्वास्थ्य व्यस्थाओं पर हम कैसे गर्व करें और किस यकीन से कहे की आयुष्मान कार्ड के मरीजों को अच्छा और किफायती ईलाज मिल पाता होगा। मनमानी का आलम यह कि हड्डी अस्पताल के नामी प्राइवेट हॉस्पिटल जौनपुर में आयुष्मान कार्ड से ईलाज करने को लेकर ना कर चूके थे। सरकार को इन व्यवस्थाओ का पुनः आंकलन करना होगा और जनता के सुझाव के अनुरूप स्वास्थ्य सेवाएं देने के तरफ विचार करना होगा वरना यहां मनमानी के सिवा कुछ नहीं और ऊपर से प्राइवेट आटो वाले कैम्पस में घूस अलग गंध मचाए है। आए दिन मरीजों से मारपीट लूट खसोट कर रहें स्वचालित बैटरी रिक्सा वाले। सरकार को कैम्पस में साफ सफाई और इन ऑटो वालों को भी नियंत्रित करने की जरुरत है।