
उत्तर प्रदेश में जिला चुनाव अधिकारियों द्वारा प्रत्याशियों के नामांकन खारिज करने के आप सामने आ रहे हैं। इस मामले में 6 अप्रैल, शनिवार को राष्ट्रीय सुरक्षा पार्टी की ओर से गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) लोकसभा चुनाव प्रत्याशी , दलित समाज की युवा बेटी- बहन मोनिका गौतम के नामांकन को जिला चुनाव अधिकारी ने नामांकन को खारिज कर दिया है।
मोनिका ने बताया , ” नामांकन जमा करते समय अधिकारी ने सभी कागजात को देखा और संतुष्टि व्यक्त की। बाद में कुछ कागज मांगे गए थे जिसे समय पर जमा कर दिया गया था और जिला चुनाव अधिकारी के कार्यालय से नामांकन में किसी प्रकार की कमी नहीं बताई गई थी, फिर भी मेरा नामांकन दलित समाज से होने के कारण खारिज कर दिया गया।” आज शुक्रवार को प्रत्याशियों की सूची जारी की गई जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा पार्टी की गाजियाबाद से प्रत्याशी वहां मोनिका गौतम का नाम नहीं था और उनका नाम नामांकन खारिज की गई सूची में बताया गया।
जब बहन मोनिका गौतमसे यह बात पूछा गया तो उन्होंने बताया कि नामांकन खारिज होने की सूचना आज नहीं चल दी जाएगी। उन्होंने कहा, “नामांकन खारिज होने का पत्र कल मिलेगा तो पता चलेगा कि किस कारण से खारिज किया गया है।” बहन मोनिका गौतम ने कहा कि जब चुनाव अधिकारी सभी कागजात से संतुष्ट थे तो खारिज होने का सवाल ही नहीं खड़ा होता। उन्होंने इसमें राज्य सरकार की अधिकारियों पर दबाव डालकर दलित समाज से जुड़े प्रत्याशियों को प्रताड़ित करने और राजनीति में न आने देने की चाल बताई है। उन्होंने कहा है कि यह मामला घर वैधानिक है और हम इसे तत्काल कोर्ट में लेकर जाएंगे।
मोनिका गौतम ने एक राष्ट्रीय हिंदी अखबार में प्रकाशित समाचार का हवाला देते हुए कहा कि बीजेपी सरकार चुनाव आयोग को कठपुतली बना दिया है। इस तरह की घटनाएं और दूसरे प्रदेशों से भी आ रही है। उन्होंने कहा कि आज समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी भारत के चुनाव आयोग पर आरोप लगाया है और कहा कि समाजवादी पार्टी के इकलौते प्रत्याशीका नामांकन जान-बूझकर निरस्त कर दिया गया है। उन्होंने भारत के चुनाव आयोग को आड़े हाथ में लेते हुए केंद्र सरकार पर आरोप लगाया और कहा, “यह सरेआम लोकतंत्र की हत्या हो रही है।” इस मामले को स्थानीय अमर उजाला का भोपाल संस्करण अपने विशेष विशेष स्टोरी के रूप में कवर किया है।