जाने – माघ महीने की गणेश चतुर्थी का महाव्रत

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“पूर्वांचल लाईफ” डॉ दिलीप कुमार सिंह

इस वर्ष माघ महीने की चतुर्थी 29 जनवरी सोमवार के शुभ दिन पर पड़ रही है इस दिन सुबह से लेकर रात के 10:00 बजे तक परम पवित्र चतुर्थी की तिथि अपने शुभ कर्म के साथ उपस्थित है, जो सुबह 6:10 बजे शोभन योग के साथ शुरू हो रही है, और समापन 30 जनवरी को 8:54 पर हो रहा है। इस दिन चंद्रमा के सिंह राशि में रहने अभिजीत मुहूर्त और शोभन मुहूर्त मिलने से अमृत और भी उत्तम हो रहा है।और इस वर्ष चंद्रमा का दर्शन भी होने की देश के अधिकांश भागों में आशा है।

गणेश चतुर्थी का महान व्रत महिलाएं इसलिए पुत्र के लिए रखती हैं, क्योंकि इसी दिन परम शक्ति भगवती माता पार्वती की इच्छा अनुसार देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय गणेश जी का जन्म हुआ था, की इच्छा रखने वाली और पुत्र की सुरक्षा पाने वाली माताएं अगर शुद्ध मन से सात्विक भाव अपना कर इस महान व्रत को करें तो उनको निश्चित रूप से पुत्र रत्न की प्राप्ति भगवती मां पार्वती की कृपा से होती है।

इस दिन घी तेल गुड का भोग लगाया जाता है, और चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत का समापन किया जाता है। भारतीय व्रत उत्सव पर्व त्यौहार धर्म दर्शन अत्यंत ही अद्भुत और रहस्य से भरा हुआ है। इस दिन मानक समय के अनुसार चंद्रमा का दर्शन 8:52 पर होगा जो उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम भारत में अलग-अलग होगा।

जहां पर अरुणाचल प्रदेश में आधे घंटे पहले चंद्रमा उदित होगा वही द्वारिका और मुंबई तथा बीकानेर जैसे जगह में आधे घंटे बाद होगा। अर्थात जहां अरुणाचल प्रदेश में चंद्रमा का उदय 8:22 पर हो जाएगा वहीं पर द्वारिका बीकानेर मुंबई में चंद्रमा का उदय 9:22 पर होगा। लेकिन आजकल प्रदूषण और ऊंचे भवनों के चलते चंद्रमा का दर्शन उदय होने के आधे घंटे बाद ही दिखाई देता है।अगर किन्ही प्राकृतिक या अन्य परिस्थितियों में चंद्रमा का दर्शन ना हो तो चंद्रमा का चित्र देखकर अथवा उदय होते चंद्रमा का वीडियो देखकर भी व्रत का समापन किया जा सकता है।

इस दिन सुपात्र सदाचारी विद्वान जो कोई भी हो सकता है को फल फूल मिठाई के साथ तिल घी का दान और गुड़ का दान बहुत ही फलदाई होता है वैसे तो दान की महिमा हमारे शास्त्र धर्म ग्रंथ वेद पुराण में अनंत है लेकिन यह शुद्ध मन से और क्षमता के अनुसार होना चाहिए दान में तिल गुड़ घी लड्डू मौसमी फल वस्त्र हो सकते हैं यह महान व्रत बहुत ही कठिन होता है भयंकर ठंड के समय में होता है और बिना खाए पिए किया जाता है।

इसलिए हमारे शास्त्रों में और धर्म ग्रंथो में स्पष्ट रूप से कहा गया है, कि केवल सक्षम और निरोग स्वस्थ महिलाएं ही इस महान व्रत को रखें। वरना बाद में इसका परिणाम अच्छा नहीं होता है, ऐसी महिलाएं जो गैस अपच या किसी भी प्रकार के रोग से पीड़ित हैं।उनको मानसिक रूप से भगवान गणेश चंद्रमा शिव और मां पार्वती का ध्यान करते हुए केवल प्रतीक रूप में ही व्रत कर लेना पर्याप्त है। और उनको उतना ही फल मिलता है जितना पूरा दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को मिलता है।

हमारे ईश्वर देवी देवता सच्चे भाव के भूखे होते हैं। दिखावा की चीज उनको पसंद नहीं है। इसलिए देशकाल परिस्थितियों को देखकर ही स्वस्थ सक्षम महिलाओं को इस महान व्रत को करना चाहिए। ब्रह्मांड में हर चीज के सर्वोच्च मानक भगवान श्री राम ने स्वयं ही कहा है निर्मल मन जो सो मोहि पावा मोहित कपट छल छिद्र न भावा इससे अधिक और क्या कहा जा सकता है इसलिए व्रत पूजा पाठ हवन इत्यादि पवित्र से पवित्र कार्य करने वाले सभी लोगों को संत महंत को आचार्य को धर्म गुरु को शुद्ध सदाचारी होना चाहिए, अन्यथा यह अपना विनाश करने के साथ-साथ देशकाल धर्म ग्रंथो का विनाश करके देवी देवताओं को भी हंसी का पात्र बनाते हैं। – डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक।

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