जो गुज़र गया वो न बात कर
नये रास्तों की तलाश कर।
नये ख्वाब हों नई मंजिलें,
नये सोच की नई बात कर।
रहे ध्यान तुम्हारा लक्ष्य पर ,
तू इधर-उधर की न बात कर।
वो दिखायेंगे तुमको अंधेरी रात,
तू सुबह की रोशनी तलाश कर।
तेरे साथ खुदा है हमसफ़र
किसी और की तू ना बात कर ।
कवि “संतोष कुमार झा”
नई दिल्ली!