पूर्वांचल लाईफ/पंकज कुमार मिश्रा,
जौनपुर लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे, कई सीटों पर प्रत्याशीयों की अद्भुत घोषणा हो चुकी है और अन्य बाकी बची सीटों पर एनके ओनके हो रहा।लोकसभा मछलीशहर विनोद सोनकर, विद्यासागर सोनकर, बीपी सरोज, दिनेश चौधरी जैसे नामों से सराबोर है अब फगुआ में कौन गारी सुनेगा और कौन राजनीतिक गुझिया खायेगा यह समय बताएगा पर जौनपुर लोकसभा सीट पर तो अनुभव अर्थात कृपाशंकर सिंह बनाम लोकप्रियता अर्थात धनंजय सिंह की जंग में सपा ताक लगाए बैठी है, मौका मिलते ही गठबंधन वाला कौनो सेक्यूलर प्रत्याशी उतार के बाजी मारने की कोशिश करेंगे। वैसे तो जनपद में कांग्रेस टूट चुकी है, नदीम जावेद कांग्रेसी पुड़िया बन कर रह गए है और इंतजार में होंगे की कब अखिलेश भैया पार्टी ऑफर करें। बसपा भी लगभग बिखर चुकी है, उत्तरी भारत कांग्रेस मुक्त हो गया और उत्तर प्रदेश बसपा मुक्त होने के कगार पर खड़ा है, उधर प्रदेश में चर्चित चचा लोगन के इतिहास और कारनामा भी छुपल ना बा।कुर्सी पवते पियरका चचा फूल फॉर्म में अपने जातिगत चिंगारी के हवा देत हयन त शिवपाल चचा टिकट मिलले के बाद भी मुँह लटकाये घूमत हयन। वैसे आजकल के सांसद विधायक जीत कर अपना काम धंधा बढ़ाने, स्कूल कॉलेज चलाने, संपत्तियां जुटाने का कार्य ही करते है जनता से उन्हें कुछ लेना देना नहीं इसलिए जनपद के वोटर अब कह रहें कोउ नृप होय हमें का हानि ! कमोबेस यही स्थिति मछलीशहर लोकसभा की भी है जहां वर्तमान सांसद महोदय के समर्थक ताल ठोक रहें और वर्तमान सांसद को टिकट का प्रबल दावेदार बता रहें वहीं जनता कुछ और कह रहीं। जनता का मूड पार्टी आला कमान भांप गई तो ठीक वरना यहाँ की भी जनता यही कह रहीं कोउ नृप होय हमें का हानि ! जिनको हारना है वो तो कब के हार गये अब पिछले कुछ समय से इनके निजी जीवन टटोले जा रहें जिनसे जुडे लांछन लगाये जायेंगे। खेल दिलचस्प होगा। टिकट मिलने के बाद भगोड़ों और भगउड़े समर्थकों की लाइन लग जाती है। बहुत से समर्थकों को राजनीति का बहुत अनुभव नहीं, बोलते हैं तो सोंचते भी नहीं हैं कि शब्द राजनीति में फिट बैठ रहा है या नहीं, कोई साथ नहीं है लेकिन अकेले लोकतंत्र के रास्ते में खड़े होकर पनी ढपली जोरों से बजाये जा रहें है।