जनरेशन Z: नई पीढ़ी , नई सोच, नई अपेक्षाएं

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जनरेशन यानी पीढ़ियां, समय बदलता रहता हैं, और बदलते समय के साथ बदलती रहती हैं पीढ़ियां।

ऐसे ही बदलते समय की बदलती हुई पीढ़ियां है, जिसमें सबसे पहली पीढ़ी है , ग्रेटेस्ट जेनरेशन (1901 से 1927) , दूसरी है साइलेंट जेनरेशन – (1928-1945) , तीसरी हैं बेबी बूमर्स – ( 1946- 1964) ,चौथी है जेनरेशन एक्स – ( 1965 – 1980), पांचवीं हैं मिलेनियल्स या जेन वाई – ( 1981- 1996) और आज के समय में दुनिया में एक नई पीढ़ी उभरी हैं जेन जी – इस पीढ़ी में 1997- 2012 के बीच जन्म लेने वाले लोगों को शामिल किया गया।

यह वह पीढ़ी है जो डिजिटल दुनिया में जन्मी, पली – बढ़ी हुई है, इन्हें डिजिटल दुनिया को नेविगेट करना आता है।
ये वो पीढ़ी है जिन्होंने ज़मीनी दुनिया से ज्यादा सोशल मीडिया, स्मार्टफोन और इंटरनेट के जरिए दुनिया को देखा है।
जेन जेड बाकी सभी पीढ़ियों से अलग है क्योंकि उनकी सोच , उनके सपने ,उनकी जीवनशैली और उनकी अपेक्षाएं बाकी पीढ़ियों से भिन्न हैं।

“ये वो पीढ़ी है जो सपने देखती हैं, और उनको हक़ीक़त बनाने की भी पूरी कोशिश करती हैं।”
ये वो पीढ़ी है जो हार्ड वर्क से ज्यादा स्मार्ट वर्क करना पसंद करती हैं।

Gen Z की सोच पुरानी पीढ़ियों से अलग है। यह आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और निडर पीढ़ी है। इनके लिए सफलता का अर्थ केवल ऊँची तनख्वाह या बड़ा पद नहीं, बल्कि काम में उद्देश्य, संतोष, आत्म संतुष्टि और सकारात्मक प्रभाव है।

“यह पीढ़ी खुद पर भरोसा करती है सवाल पूछती है, और पुराने नियमों को चुनौती देने से नहीं डरती।”

डिजिटल युग के बादशाह

Gen Z ने अपना जीवन स्मार्ट फोन और इंटरनेट के बीच जिया हैं , इंटरनेट या सोशल मीडिया को यदि हम इनके लिए हवा -पानी जैसा जरूरी समझे तो भी इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
यह पीढ़ी तकनीक-संपन्न तो है ही साथ ही ये जागरूक और सामाजिक मुद्दों पर सक्रिय भी मानी जाती है। ये ज़िलेनियल्स भी कहे जाते हैं। ये आज के समय की सबसे चर्चित और प्रभावशाली पीढ़ी है। टेक्नोलॉजी उनके डीएनए में है, वो नए ऐप्स और ट्रेंड्स को बहुत तेजी से अपनाते हैं।Gen-Z डेस्कटॉप के बजाय मोबाइल पर ही ज्यादा काम करते हैं। ये आम जीवन की टिप्पणियों से ऑनलाइन रिव्यू पर ज्यादा भरोसा करते हैं।
Gen Z के लिए डिजिटल दुनिया एक वास्तविकता है, न कि एक विकल्प।

आत्म निर्भरता और रचनात्मकता

जेन जेड के पास रचनात्मकता अन्य बाकी सभी पीढ़ियों की तुलना में अधिक हैं । ये लोग अपने विचारों,योग्यताओं और यहां तक कि अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए सोशल मीडियो का ही प्रयोग करना पसंद करते हैं।
लेखन क्षेत्र हो या गायन , नृत्य हो या पाक , कला हो या विज्ञान से संबंधित रचनात्मकता, सभी के लिए ये पीढ़ी सोशल मीडिया और इंटरनेट पर बहुत अधिक आश्रित हैं।
“ये पीढ़ी रेस्टोरेंट में हो या किसी पर्यटन स्थल पर ,किसी मंदिर या किसी शोक कार्यों में , अपने हर कार्य को सोशल मीडिया के जरिए लोगों को बताना , उनकी प्रतिक्रियाएं देखना अति आवश्यक लगता हैं।

विविधता और समावेशिता

जेन जेड अलग – अलग विचारधाराओं, संस्कृति , धर्मों का सम्मान करते हैं ।
यह पीढ़ी विविधता और समावेशिता को बहुत महत्व देते है। जेन जेड के लिए यह जरूरी है कि हर किसी को समान अवसर मिले और समाज में किसी भी तरह का भेदभाव न हो। ये लोग सामाजिक न्याय के लिए भी बहुत मुखर हैं, और अपने विचारों को व्यक्त करने से नहीं हिचकिचाते। ये मुक्त वक्ता होने के साथ साथ ही बहुआयामी प्रतिभाओं के धनी होते हैं।

जेन जेड के जीवन की चुनौतियां

हालांकि यह पीढ़ी तकनीकी और प्रौद्योगिकी में बहुत सफलता प्राप्त कर चुकी हैं, लेकिन इनके जीवन में चुनौतियां भी कम नहीं हैं।
जिसमें सबसे बड़ी चुनौती है नौकरी की अनिश्चितता, आर्थिक अस्थिरता, कठिन प्रतियोगिताएं लेकिन बहुत कम अवसर और रोजगार।
जिसके कारण इस पीढ़ी के 70 प्रतिशत लोग मानसिक तनाव , चिंता और अवसाद से घिरे हुए है।
यह पीढ़ी छोटी से छोटी गणना के लिए भी मोबाइल , कैलकुलेटर पर आश्रित है।
ये मीलों दूर बैठे अपने सोशल मीडिया के मित्र को देख सकते ,सुन सकते ,बात कर सकते हैं, लेकिन अपने ही घर के लोगों या पड़ोस के लोगों से दूर होते जा रहे।
मोबाईल और इंटरनेट जो कि साधन या सुविधा के रूप में प्रयोग करने के लिए था किंतु इस पीढ़ी के लिए लत बन गई है।

जेन जेड की अपेक्षाएं

इस पीढ़ी की रचनात्मकता , विविधता के प्रति सम्मान, हर चुनौती का सामना करने का हौंसला, रूढ़िवादी सोच को चुनौती देना , इनका बेबाक और निडर होना इन्हें एक अद्वितीय पीढ़ी बनाती हैं , ये पीढ़ी अपनी नई ऊर्जा नई सोच के साथ दुनिया बदलने की क्षमता रखती हैं।
ऐसे में ये पीढ़ी चाहती हैं उन्हें समझा जाएं, उनके नजरिए और सोच को स्वीकारा जाए।
ये पीढ़ी ऐसे समाज की कल्पना करती हैं ,जो सबको सामान अवसर दे , सभी की सोच को सम्मान दे।
इनकी सोच पुरानी बाकी सभी पीढ़ियों से अलग है, इनके लिए सफलता का अर्थ केवल बड़ी तनख्वाह या बड़ा पद नहीं , बल्कि ये पीढ़ी काम के पीछे कोई उद्देश्य,आत्म -संतुष्टि और सकारात्मक प्रभाव ढूंढती हैं।

यह पीढ़ी पूरी तरह से तकनीकी और डिजिटल मीडिया से घिरी हुईं है, ऐसे में यह पीढ़ी चाहती है कि उनके परिजन और समाज उनकी नई डिजिटल सोच को अपनाएं और कदम मिला कर उनके साथ चले, उनका हौंसला बढ़ाएं, उनके सपनों को पहचाने और मंजिल तक पहुंचने में उनकी मदद करें।
इस पीढ़ी की पुरानी पीढ़ियों से सबसे बड़ी अपेक्षा यह है कि यह चाहती है कि रूढ़िवादी सोच को छोड़कर , नए विचारों, नई ऊर्जा , नई प्रतिभाओं को अवसर दिया जाए कुछ नया कर दिखने का।
इस पीढ़ी को अपने परिजनों और समाज से अपेक्षाएं है कि उन्हें सुना और समझा जाएं।

समाधान

यह पीढ़ी जो सोशल मीडिया के लाइक , कॉमेंट्स को अपनी जीवन की सच्चाई समझती है , उसका एक पहलू केवल तकनीकी दुनिया के प्रति उनका आकर्षण भी है वरन दूसरा पहलू यह भी है कि इस भागमभाग भरी दुनिया में माता – पिता अपने बच्चों से दूर होते जा रहे हैं, और यही कारण है कि जो पीढ़ी तकनीकी और इंटरनेट का सदुपयोग करके क्या कुछ नहीं कर सकती थी, वह होनहार पीढ़ी केवल सोशल मीडिया, व्हाट्सप्प ,फेसबुक, इंस्टाग्राम,ट्विटर में उलझ कर रह गए।
जो ज़मीनी हकीकत से इतनी दूर निकल गए कि शिक्षक और गुरु का स्थान उन्होंने गूगल और इंटरनेट को दे दिया हैं।
जहां अथाह ज्ञान के साथ – साथ कई मार्ग भटकाने वाले साधन भी हैं।
इन परिस्थितियों में हमारा परम कर्तव्य है कि हम उन्हें सही – गलत का अर्थ समझाएं ,न की अपनी सोच और बंदिशे उन पर लाद दें।

ये पीढ़ी संवेदनहीन होती जा रही है , तो आवश्यकता है, कि इनके साथ सभी मित्रवत व्यवहार करेंगे , इनकी भावनाओं को समझा जाएं।
अतः इस अद्वितीय पीढ़ी को ऊंचाइयों के शिखर तक पहुंचाने के लिए पुरानी पीढ़ियों का कर्तव्य बनता है कि वह इस पीढ़ी के युवाओं को समझे, अपने विचारों के साथ उनके विचारों को प्रकट करने की स्वतंत्रता दे।

अन्नु राठौड़ “रुद्रांजली”
कांकरोली ,राजसमंद।

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