पेरिस ओलंपिक 2024 और भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन-डॉ दिलीप कुमार सिंह

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प्रस्तावना

पेरिस ओलंपिक खेल आज से 26 जुलाई से प्रारंभ हो जाएंगे इस बार भारतीय खिलाड़ियों का लंबा चौड़ा दल ओलंपिक खेलों में अर्हता प्राप्त करने के बाद पेरिस ओलंपिक में भाग ले रहा है!

ओलंपिक खेलों में भारत का बहुत ही निराशाजनक प्रदर्शन रहा है!

आधुनिक विश्व में ओलंपिक खेलों का शुभारंभ 18 96 ईस्वी में एथेंस से प्रारंभ हुआ है सन 1900 से भारत ने ओलंपिक खेलों में भाग लेना शुरू किया है तब से लगातार भारत हर ओलंपिक खेल में भाग ले रहा है लेकिन भारत का ओलंपिक में प्रदर्शन कुछ विशेष नहीं रहा है अभी तक भारत ने ओलंपिक में केवल 10 स्वर्ण पदक जीते हैं जिसमें आठ तो केवल हॉकी में है एक एथलेटिक्स भाला फेंक में और दूसरा निशानेबाजी में प्राप्त किया है यदि यह विश्व स्तर पर देखा जाए तो यह अमेरिका चीन रूस जर्मनी जापान इंग्लैंड फ्रांस क्यूबा ऑस्ट्रेलिया कनाडा जैसे देशों के सामने कुछ भी नहीं है चीन और अमेरिका तो एक ही ओलंपिक में सबसे अधिक स्वर्ण पदक जीतने का अभूतपूर्व कीर्तिमान बना चुके हैं कोरिया और क्यूबा जैसे छोटे-छोटे देश भी एक ही ओलंपिक में 10 से ज्यादा स्वर्ण पदक जीत लेते हैं अभी तक भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन टोक्यो ओलंपिक 2020 में रहा है जहां पर भारत ने एक स्वर्ण सहित सात पदक प्राप्त करके भारतीय खेलों के इतिहास में एक इतिहास रचा है प्रश्न है कि क्या वह अपना यह कीर्तिमान इस बार तोड़ पाएंगे और क्या विश्व स्तर पर कुछ दमदार प्रदर्शन कर पाएंगे!

पेरिस ओलंपिक और भारत के खिलाड़ियों का प्रदर्शन और उसकी भविष्यवाणी!

पेरिस ओलंपिक में क्या कुछ कैसा रहेगा आइए इस पर एक गहरी विवेचना करते हैं इस बार भारत कुल मिलाकर 16 खेल स्पर्धाओं में भाग ले रहा है और जिसमें तीरंदाजी एथलेटिक्स बैडमिंटन घुड़सवारी गोल्फ हॉकी जूडो नौकायन सेलिंग निशानेबाजी टेबल टेनिस टेनिस मुक्केबाजी कुश्ती भारोत्तोलन खेल शामिल हैं कुल 117 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं जिसमें छह खिलाड़ी उत्तर प्रदेश के भी शामिल हैं इस बार भारत के जिन खेल और खिलाड़ियों में पदक पाने की सबसे अधिक आशा है उसमें पहले स्थान पर लक्ष्यवेध अर्थात निशानेबाजी दूसरे स्थान पर एथलेटिक्स तीसरे स्थान पर तीरंदाजी चौथे स्थान पर बैडमिंटन और कुश्ती है अन्य खेल जिसमें भारत पदक जीत सकता है उसमें हॉकी नौकायन टेबल टेनिस और भारत तोलन जैसे खेल शामिल हैं अब इनमें एक-एक करके विवेचना करते हैं!

1- तीरंदाजी सबसे पहले तीरंदाजी प्रतियोगिता की बात करते हैं यह भारत का बहुत प्राचीन खेल है और अर्जुन कर्ण भगवान श्री राम जैसे अचूक निशानेबाजों से इतिहास भरा पड़ा है पृथ्वीराज का शब्द वेधी बाण तो सभी जानते हैं इसमें भारत के पुरुष और महिला दोनों खिलाड़ियों ने व्यक्तिगत और टीम स्पर्धा में खेलने का सौभाग्य प्राप्त किया है यह देखा जाए तो तीरंदाजी में भारत दलीय स्पर्धा और व्यक्तिगत स्पर्धा में विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ टीम और खिलाडियों में शामिल हैं इसलिए अगर भारत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है तो पुरुष और महिला तीरंदाजी में वह दो पदक टीम स्पर्धा में और दो पदक अधिकतम व्यक्तिगत स्पर्धा में कुल पांच पदक की आशा कर सकते हैं और कम से कम इसमें एक पदक प्राप्त होना सूनिश्चित दिख रहा है क्योंकी इसमे चीन कोरिया अमेरिका फ्रांस जैसी विश्वस्तरीय टीमों के सामने अपने ऊपर नियंत्रण और मार्ग शक्ति को देखना पड़ेगा जो भारतीय खिलाड़ियों में बहुत कम है!

2-एथलेटिक्स

इसके बाद एथलेटिक्स की बात करते हैं जिसमें भारत का प्रदर्शन बहुत ही खराब और निराशाजनक रहा है और कुल प्राप्त पदक उंगलियों पर गिने जा सकते हैं यहां एक संजोग ही कहा जाएगा की एथलेटिक्स में ओलंपिक खेलों में भारत को एक पदक प्राप्त हुआ है और वह पीले रंग का अर्थात स्वर्ण पदक है इस बार एथलेटिक्स में एक बार फिर सारा दारोमदार विश्व और ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा और उनके सहयोगी किशोर जेना पर रहेगा बाकी केवल दो ऐसे एथलेटिक्स खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने पदक तो नहीं पाया लेकिन उनकी चर्चा विश्व के स्वर्ण पदक प्राप्त खिलाड़ियों से भी ज्यादा है जिसमें पहले तो 1960 में रोम ओलंपिक में मिल्खा सिंह का चौथा स्थान पर रहना और फिर उड़न परी के नाम से मशहूर पीटी उषा का 1984 में चौथे स्थान पर रहना शामिल है इसके अलावा कई खिलाड़ी एथलेटिक्स के फाइनल तक तो पहुंचे लेकिन कोई पदक नहीं जीत पाए और इस बार भी एथलेटिक्स में अधिकतम दो पदक और कम से कम एक पदक भारत प्राप्त कर सकता है इससे अधिक ही आशा व्यर्थ हैं और अगर खिलाड़ी सेमीफाइनल या फाइनल में पहुंच जाते हैं तो यही भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी!

3-बैडमिंटन

बैडमिंटन में भारत ने अपनी उपस्थिति प्रकाश पादुकोण के समय से स्थापित की और साइना नेहवाल पीवी सिंधु रंकी रेडी सात्विक साइन राज लक्ष्य सेन प्रणय श्रीकांत जैसे खिलाड़ियों ने एक समय उसे विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्तर पर पहुंचा दिया जिसमें प्रकाश साइना नेहवाल किदांबी श्रीकांत और पीवी सिंधु तो विश्व के नंबर एक खिलाड़ी भी रह चुके हैं पिछले बार पीवी सिंधु ने कारोलिना मारीन से हार कर रजत पदक जीता था इस बार अगर बैडमिंटन के खिलाड़ी चीन कोरिया इंडोनेशिया मलेशिया थाईलैंड डेनमार्क के खिलाड़ियों के बीच दो पदक प्राप्त कर ले तो बहुत बड़ी उपलब्धि होगी वैसे लगता है इस खेल में भारत अधिक से अधिक एक कांस्य या रजक पदक प्राप्त कर सकता है!

4- घुड़सवारी अगला खेल घुड़सवारी अर्थात असवारोहण है इस खेल में भारत को पदक की कोई आशा नहीं है पहली बार घुड़सवारी टीम द्वारा एक अच्छी स्थिति के साथ ओलंपिक में अर्हता प्राप्त की गई है अगर घुड़सवारी टीम फाइनल राउंड में पहुंच जाए तो यह भारत के लिए पदक जीतने के बराबर है इसके पहले मास्को ओलंपिक में भी भारत की घुड़सवारी टीम ने भाग लिया था लेकिन कुछ विशेष प्रदर्शन नहीं कर पाए थे!

5- गोल्फ

अगला खेल गोल्फ है जिसमें भारत भाग ले रहा है इसमें भी विश्वस्तरीय खिलाड़ियों के सामने भारतीय गोल्फर अगर शीर्ष 10 स्थान में जगह प्राप्त कर लेते हैं तो बहुत बड़ी उपलब्धि होगी पदक प्राप्त करने का तो गोल्फ में कोई प्रश्न ही नहीं है क्योंकि विश्व और ओलंपिक स्तर से हमारे गोलफर बहुत ही नीचे हैं वैसे इसमें भाग्य का भी बहुत बड़ा हाथ होता है!

6- हाकी

अगला खेल हॉकी है जिसमें भारत को बहुत बड़ी आशाएं रहती हैं और अघोषित रूप से भारत का राष्ट्रीय खेल है पिछले ओलंपिक में हॉकी टीम ने शानदार सफलता प्राप्त करते हुए पदक प्राप्त किया था इस बार हॉकी टीम से चमत्कार की आशा रहेगी और कम से कम भारत की टीम सेमीफाइनल तक पहुंच सकेगी और भाग्य ने साथ दिया तो एक पदक टीम जीत सकती है हॉकी ही एकमात्र ऐसा खेल रहा है जिसने भारत को सबसे अधिक 8 स्वर्ण पदक दिलाए हैं और जिसके बल पर भारत हमें सब पदक तालिका में अपना स्थान बनाए रखता था।

7-जूडो

अगला खेल जिसमें भारत भाग ले रहा है वह जूडो का खेल है हाल के वर्षों में भारतीय जूडो खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ अच्छी सफलताएं प्राप्त की हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय और विश्व स्तर पर भारत के जूडो खिलाड़ी पदक प्राप्त कर सकेंगे इसमें संदेह है अगर भारत के जूडो खिलाड़ी कुछ मैच जीत लेते हैं तो यही भारत की बहुत बड़ी उपलब्धि रहेगी।

8- रोइंग

अगला खेल जिसमें भारतीय खिलाड़ी भाग ले रहे हैं वह रोइंग है इन खेलों में हाल के वर्षों में भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया है और अगर समय और भाग्य तथा परिस्थितियों ने साथ दिया और भारत के खिलाड़ी जी जान से खेले तो इसमें भी भारत को एक पदक की आशा हो सकती है वैसे इसमें फाइनल राउंड तक पहुंचना ही भारत के लिए उपलब्धि होगी।

9- सेलिंग

अगला खेल जिसमें भारत के खिलाड़ी भाग ले रहे हैं वह सेलिंग है सेलिंग प्रतियोगिताएं बहुत कठिन होती हैं जिसमें अभूतपूर्व दम खम और इच्छा शक्ति तथा संकल्प की आवश्यकता होती है जो भारत के खिलाड़ियों में कम नहीं है लेकिन विश्व और ओलंपिक स्तर पर उनके प्रदर्शन कुछ खास नहीं है और ओलंपिक और विश्व रिकॉर्ड से भारत के खिलाड़ी बहुत दूर हैं अगर इसमें भी भारत फाइनल राउंड तक पहुंच जाता है तो यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी बाकी ईश्वर की कृपा और चमत्कार पर निर्भर करता है।

10- लक्ष्यवेध( निशानेबाजी)

अगला खेल जिसमें भारत की सबसे बड़ी आशाएं सबको प्राप्त हैं वह लक्ष्यवेध अर्थात निशानेबाजी या शूटिंग प्रतियोगिता है यह एक ऐसी प्रतियोगिता है जिसमें भारत ने व्यक्तिगत स्पर्धा में पहली बार अभिनव बिंद्रा के रूप में बीजिंग ओलंपिक में चीन अमेरिका रूस यूक्रेन और यूरोप के खिलाड़ियों की कड़ी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर देश के खिलाड़ियों को संदेश दिया था कि हम भी इसमें बहुत कुछ कर सकते हैं इस बार भारत के खिलाड़ियों ने विश्व स्तर पर निशानेबाजी में बहुत बड़ी-बड़ी उल्लेखनीय सफलताएं प्राप्त किया है और भारत के पुरुष और महिला दोनों टीमें इसमें भाग ले रही हैं जिसमें मनु भाकर जैसी उदयीमान खिलाड़ी भी शामिल हैं यह एक ऐसा खेल है जिसमें भाग्य ने साथ दिया तो भारत व्यक्तिगत और टीम स्पर्धा मिलाकर अधिक से अधिक पांच और कम से कम दो पदक जीत सकता है जिसमें एक या दो स्वर्ण पदक हो सकते हैं बाकी सब परिस्थितियों और भाग्य पर निर्भर करता है।

11- तीरंदाजी

वैसे तीरंदाजी और एथलेटिक्स तथा शूटिंग ही ऐसी प्रतियोगिता है जिसमें भारत के खिलाड़ी विश्व स्तर पर हमेशा अच्छा खेल खेलते आए हैं इस बार भारत की पुरुष और महिला तीरंदाजी टीम में विश्व स्तर पर बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया है और यह आशा की जा सकती है की तीरंदाजी में अधिकतम पांच पदक और कम से कम एक पदक के साथ भारत इसमें अच्छा प्रदर्शन करेगा तीरंदाजी भारत का प्राचीन काल का खेल है जिसमें भगवान श्री राम अर्जुन करण जैसे धुरंधर तीरंदाजों का नाम विश्व विख्यात है।

11-12 टेनिस और टेबल टेनिस

टेनिस और टेबल टेनिस में भी इस बार भारत के खिलाड़ी भाग ले रहे हैं लेकिन विश्व और ओलंपिक स्तर पर उच्च क्लास के खिलाड़ियों के बीच में अगर वह सेमीफाइनल तक भी पहुंच जाए तो बहुत बड़ी बात होगी मनिका बत्रा के रूप में एक अद्भुत भारतीय खिलाड़ी है लेकिन पिछली बार वह क्वार्टर फाइनल में हार गई थी इन दोनों खेलों में अगर भाग्य साथ दे और परिस्थितियों अनुकूल रहे तो हम एक पदक की अधिकतम आशा कर सकते हैं।

13-मुक्केबाजी

मुक्केबाजी एक ऐसा खेल है जिसमें भारत के खिलाड़ी विश्व स्तर पर तो हमेशा शानदार दमदार प्रदर्शन करते आए हैं लेकिन विश्व ओलंपिक खेलों में इनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है विशेष करो ओलंपिक खेलों में तो भारतीय खिलाड़ी आज तक सेमीफाइनल में भी प्रवेश नहीं कर पाए हैं और भारत के खिलाड़ियों के साथ अन्याय भी बहुत होता रहा है इस बार अगर भाग्य साथ दे तो इसमें भारत पदक का श्री गणेश कर सकता है वैसे इसमें पदक की बहुत आशा करना उचित नहीं है!

14-कुश्ती

कुश्ती या मल्ल विद्या भारत की प्राचीनतम खेल विधाओं में से एक है जिसमें भारतीय खिलाड़ी एशियाई राष्ट्रमंडल विश्व ओलंपिक स्तर पर हमेशा श्रेष्ठ प्रदर्शन करते रहे हैं लेकिन इस बार की कुश्ती प्रतियोगिताओं में बहुत अधिक आशा नहीं है टोक्यो ओलंपिक में तो महान पहलवान सुशील कुमार स्वर्ण पदक प्राप्त करते-करते रह गए थे और दो पदक जीतने वाले वह एकमात्र भारतीय मल्ल हैं देश काल परिस्थितियां अनुकूल रही तो भारत के खिलाड़ी एक या दो पदक जीत सकते हैं विशेष कर विनेश फोगाट और रवि दहिया से कुछ आशा की जा सकती है दो पदक में एक कांस्य और स्वर्ण पदक भी हो सकता है!

15- भारोत्तोलन

भारोत्तोलन खेलों में भारत ने विश्व और अंतरराष्ट्रीय स्तर तथा ओलंपिक स्तर पर भी अच्छा प्रदर्शन किया है मैरी कॉम और लवलीना बोरगोहन ने कांस्य और रजत पदक प्राप्त किया है इस बार भी भारोत्तोलन खेलों में भारत से अच्छे प्रदर्शन की आशा है और खिलाड़ी एक या दो पदक जीत सकते हैं!

“उपसंहार”

भारत में खेलों की स्थिति कागजों पर अधिक और धरातल पर बहुत कम है खेल महासंघ में व्याप्त भ्रष्टाचार और यौन शोषण तथा सरकार का खेल और खिलाड़ियों पर ध्यान न देना और मीडिया द्वारा भी इसको केवल एक पन्ने या आधे पन्ने पर छाप देना और देश की जनता का केवल क्रिकेट में ध्यान देना अन्य खेलों पर ध्यान न देना ऐसे कारण है जो विश्व और ओलंपिक स्तर पर लंबे समय तक भारत की निराशाजनक कहानी दोहराते रहेंगे इस बार हम नीरज चोपड़ा किशोर जेना पीवी सिंधु लवलीना बोरगोहेन मनु भाकर निखत जरीन अमित पंघाल सिफत कौर सामरा विनेश कौर फोगाट लक्ष्य सेन मीराबाई चानू रिंकी रेड्डी चिराग शेट्टी लक्ष्य सेन पीवी सिंधु और इस प्रकार के कुछ अन्य खिलाड़ियों के चलते अधिक से अधिक 15 पदक जिसमें पांच स्वर्ण पदक हो सकते हैं और कम से कम 9 पदक जिसमें एक स्वर्ण पदक हो सकता है की आशा कर सकते हैं ईश्वर से प्रार्थना है कि इस बार भारत के खिलाड़ी पांच स्वर्ण सहित 15 पदक प्राप्त करके सर्वश्रेष्ठ 20 देशों के कतार में शामिल हो चलते-चलते आपको बता दें कि अभी तक भारत केवल एक बार ओलंपिक खेलों में विश्व में 17वें स्थान पर रहा है बाकी हर बार यह सर्वश्रेष्ठ 20 देश के बाहर ही रहा है अगर इस बार भारत सर्वश्रेष्ठ 15 देश में आ जाए तो यह बड़ी उपलब्धि होगी क्योंकि खेलो इंडिया का कार्यक्रम केवल कागजों पर ही चल रहा है और हाल में अनेक खेलों में हुए चयन में भेदभाव और सुविधाओं का अभाव एवं यौन शोषण में भारतीय खिलाड़ियों के ओलंपिक में प्रदर्शन को गहरे तक प्रभावित किया है ऐसा देखा गया है कि सरकारी सहायता प्राप्त कोई भी खिलाड़ी ओलंपिक या विश्व स्तर पर एशिया या कॉमनवेल्थ में पदक पाने में असफल रहा है, जो खिलाड़ी स्वयं अपना खेत मकान आभूषण बेचकर फटेहाल स्थिति में जाते हैं वही बड़ी सफलताएं प्राप्त कर पाते हैं अब देखना है पेरिस ओलंपिक भारत के लिए कितना सुनहरा सिद्ध होता है वैसे सामान्य रूप से भी जितना भारतीय खिलाड़ी बाहर खेलने जाते हैं उसमें से 10 % खिलाड़ी पदक लेकर लौटते हैं इस हिसाब से भारत को 10 से 11 पदक मिलना चाहिए ओलंपिक जैसी सबसे कठिन और बड़ी प्रतियोगिता में पिछला प्रदर्शन कोई मायने नहीं रखना और अधिकांश भारती खिलाड़ी तो अपना पुराना प्रदर्शन भी नहीं दोहरा पाएंगे।

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