जौनपुर जिले से 22 किमी दूर खलीलपुर गाँव में चल रही भागवत कथा में भागवताचार्य पं प्रवीण पाण्डेय ने बताया कि दुनिया वाले भगवान से सुख कामना की ईच्छा करते है जबकि कुन्ती ने भगवान से दुखभरा जीवन ही मागा जिससे कृष्ण का साथ कभी न छूटे। बता दे कि दुख अपने और पराये की पहचान कराती है। क्योकि दुख रहने पर जीह्वा हमेशा कृष्ण कृष्ण की रट लगाते है और सुख आने पर कृष्ण का साथ छूटने का भय बना रहता है। युधिष्ठिर ने सत्य और धर्म से साथ न छूटे का आशिर्वाद मागा। भीमसेन ने नाम स्मरण का, अर्जुन ने गुरू और शिष्य का, सहदेव और नकुल ने भी गुरू शिष्य का, तथा द्रोपदी ने सखा सखी का आशिर्वाद मांगा। कथा में आगे भक्तमाल की कथा सुनाई जिसमें कर्मा वाई ने भगवान जगन्नाथ को प्रतिदिन भोग लगाती। कथा में वेद की रचना व्यास जी ने की जो सुखदेव को प्रदान किया! परीक्षित का जन्म, उत्तरा के गर्भ की रक्षा, परीक्षित को लगे श्राप से मुक्ति व उध्दार का मार्ग, भागवत कथा के श्रवण की प्रेरणा, कलि का निवास जैसे कई प्रसंग सुनाये! कथा तीनो तापो से मनुष्य को मुक्त कराती है! जिसके जीवन के भाग्य उदय होते है वही गोविंद की कृपा से भागवत कथा का आयोजन कर पाता है! कथा का सुन्दर आयोजन होने से दूर-दूर के भक्त कथा श्रवण का लाभ उठाने आ रहे है!
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