राज्यपाल का अगली नियुक्ति तक स्वतः बढ़ जाता है कार्यकाल, यूपी में मंथन जारी

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पूर्वांचल लाईफ न्यूज / पंकज सीबी मिश्रा

जौनपुर : यूपी के राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का कार्यकाल 29 जुलाई को खत्म हो गया जिसके बाद भी वह वर्तमान समय तक राज्यपाल की कुर्सी पर काबिज हो सरकारी दायित्व निभा रहीं जिसे लेकर कुछ कांग्रेसीजनों ने विरोध किया है जबकि उन्हें पता होना चाहिए की संवैधानिक नियमों के तहत अगली नियुक्ति अधिसूचना तक कार्यकाल स्वतः बढ़ जाता है । उत्तर प्रदेश में अभी तक 24 राज्यपाल बने हैं। आनंदीबेन 25वीं राज्यपाल हैं। इसमें कन्हैयालाल माणिक लाल मुंशी, विश्वनाथ दास, बीजी रेड्डी, चंद्रेश्वर प्रसाद नारायण सिंह, मोहम्मद उस्मान आरिफ, टीवी राजेश्वर और राम नाईक सहित 7 चेहरों ने ही पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है। आनंदीबेन पटेल गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री रहीं। प्रदेश में सरोजनी नायडू के बाद वह दूसरी महिला राज्यपाल हैं। वह इससे पहले मध्य प्रदेश व छतीसगढ़ की राज्यपाल रह चुकी है। संवैधानिक व्यवस्था के तहत राज्यपाल की नियुक्ति पांच साल के लिए होती है। प्रदेश के राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार पंकज सीबी मिश्रा ने बताया कि नये राज्यपाल की नियुक्त न होने पर उनका कार्यकाल नये राज्यपाल की नियुक्ति होने तक स्वतः बना रहता है। मौजूदा राज्यपाल के कार्यकाल बढ़ाने के लिए किसी आदेश की आवश्यकता नहीं होती है। 29 जुलाई से शुरू हो रहे विधानमंडल सत्र को देखते हुए मौजूदा राज्यपाल के अभी पद पर बने रहने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि आज तक प्रदेश में किसी को दोबारा कार्यकाल नहीं मिला। प्रदेश राजभवन का इतिहास बताता है कि यहां अभी तक किसी का कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया। यूनाइटेड प्रॉविंस व बाद में उत्तर प्रदेश में अभी तक 24 राज्यपाल बन चुके हैं। आनंदीबेन 25वीं राज्यपाल हैं। मोहम्मद उस्मान आरिफ, टीवी राजेश्वर और राम नाईक समेत अन्य राज्यपाल ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है। बीएल जोशी ने भी यहां लगभग 4 साल 11 महीने बिताए थे। कार्यकाल खत्म होने के लगभग पांच हफ्ते पहले अजीज कुरैशी को राजभवन भेज दिया गया था। गुजरात से आने वाली आनंदीबेन की गिनती पीएम नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र लोगों में होती है। ऐसे में नजरें इस पर टिक गई हैं कि आनंदीबेन के पास यूपी के संवैधानिक प्रमुख का प्रभार बना रहेगा, या उनकी जगह किसी नए चेहरे को जिम्मेदारी दी जाएगी। 29 जुलाई 2019 को उन्होंने यहां कार्यभार संभाला था। राज्यपाल की नियुक्ति आम तौर पर पांच साल के लिए होती है। ऐसे में उनका कार्यकाल 29 जुलाई को समाप्त हो गया । हालांकि, किसी नियुक्ति होने तक मौजूदा राज्यपाल के पास ही जिम्मेदारी बनी रहती है। नवंबर में आनंदीबेन 83 साल की हो जाएंगी। हालांकि, आयोजनों, बैठकों व कार्यक्रमों में उनकी नियमित सक्रियता बनी रहती है।

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