पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफा (स.अ.व) ने अमीरी ग़रीबी के फर्क को मिटाकर कमज़ोर इन्सानों को बराबरी का दर्जा दिलाया था – सैय्यद असलम नक़्वी

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जौनपुर। शिया जामा मस्जिद नवाब बाग़ के मुतवल्ली/प्रबंधक शेख़ अली मंज़र डेज़ी की वालेदा (माता) सुग़रा बेगम मरहूमा बिन्ते अली बख़्श खां मरहूम के इसाले सवाब के लिए सालाना मजलिसे तरहीम का आयोजन मस्जिद चहारसू रौज़ा मख़्दूम शाहअढहन में बाद नमाज़े मग़रेबैन किया गया। जिसमें नमाज़ बजमाअत हुज्जत उल इस्लाम मौलाना आग़ा आबिद अली खां नजफी ने अदा कराई उसके बाद मजलिस में सोज़खानी नूरुज़्ज़मा बन्ने ने की सैफ जौनपुरी और तालिब रज़ा शकील एडवोकेट ने पेशख़ानी की मजलिस की, ज़ाकीरी सैय्यद असलम नक़्वी ने किया, उन्होंने मोमेनीन को ख़ेताब करते हुए कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफा (स.अ.व) ने अमीरी और ग़रीबी के फर्क को ख़त्म करके तमाम इन्सानों को बराबरी का दर्जा दिलाया। इस्लाम ने मसावात (समता) को बढ़ावा दिया है।इस्लाम सभी इन्सानों को प्यारो मोहब्बत का पैग़ाम देता है कर्बला इसकी बेहतरीन मिसाल है। हज़रत इमाम हुसैन (अ.स) ने हर क़ौम कबीले को एकजुट कर दिया कर्बला में इमाम हुसैन (अ.स) के साथ शहादत देने वाले उनके सहाबी (साथी) हर क़ौम कबीले के थे। दुनिया के हर मुल्क में हज़रत इमाम हुसैन की तालिमात (शिक्षा) से राष्ट्रीय एकता क़ायम हो सकती है।मजलिस में हज़रत अली असगर (अ.स )की शहादत का मसायब सुनकर मौजूद मोमेनीन की आंखें अश्कबार हो गई मजलिस में अन्जुमन क़ासिमया चहारसू ने नईम हैदर एवं हुसैन हैदर के नेतृत्व में नौहाख़ानी की मजलिस में शौकत हुसैन,नईम हैदर मुन्ने, अब्बास हैदर, मोहम्मद जाफर अब्बास, आले हसन, नजमी, सैय्यद परवेज़ हसन नेता, तहसीन अब्बास सोनी, नन्हे भाई मोहम्मद नासिर रज़ा गुड्डू, डाक्टर तक़वीम हैदर राहिल, सैफ, सिकन्दर इक़बाल, आदिल अब्बास अली औन फिरोज़ हसन क़ैस, गोलू इत्यादि मौजूद थे।मजलिस में तमाम शरीक होने वाले मोमेनीन का शुक्रिया ए.एम डेज़ी ने अदा किया।

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