जौनपुर। जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहाँ कई रेस्टोरेंट और ढाबा संचालक जानबूझकर जीएसटी कानूनों की अनदेखी कर रहे हैं। सरकार को हर महीने लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है, और हैरानी की बात यह है कि यह सब खुलेआम हो रहा है – नकद लेन-देन के जरिए, बिना पक्की रसीद के।
कैसे हो रही है टैक्स की चोरी?
शहर के कई लोकप्रिय खानपान केंद्रों पर ग्राहक जब खाना खाते हैं, तो उन्हें पक्की रसीद नहीं दी जाती। भुगतान नकद में लिया जाता है और रसीद की मांग करने पर टालने वाले जवाब मिलते हैं। जीएसटी के नियमों के अनुसार 750 रुपये से अधिक के बिल पर कर लागू होता है, लेकिन ये व्यवसायी इस सीमा को नजरअंदाज कर सीधे कैश में सौदा निपटा देते हैं।
ग्राहकों को भी हो रही है परेशानी
कई ग्राहकों का कहना है कि जब वे रसीद मांगते हैं तो उन्हें या तो टाल दिया जाता है या फिर झूठे बहाने बना दिए जाते हैं। उपभोक्ता फोरम में शिकायत करने का विकल्प मौजूद होने के बावजूद, जागरूकता की कमी और कानूनी प्रक्रिया की उलझन के कारण लोग आवाज नहीं उठा पाते।
प्रशासन से कार्रवाई की गुहार
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने वाणिज्य कर विभाग और जिला प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि इन प्रतिष्ठानों पर औचक निरीक्षण होना चाहिए जिससे खाने की गुणवत्ता में कमी और जो टैक्स चोरी करते पाए जाएं, उन पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
सरकार को कितना हो रहा नुकसान?
कर विशेषज्ञों के अनुसार, जिले में सैकड़ों ऐसे संस्थान हैं जो इसी तरह टैक्स की चोरी कर रहे हैं। अगर प्रत्येक दिन हजारों रुपये की बिक्री बिना जीएसटी के हो रही है, तो महीने में यह आंकड़ा लाखों रुपये के राजस्व की चोरी तक पहुंच सकता है। और यह सिर्फ एक जिले की तस्वीर है।
जनता से अपील: रसीद लें, जागरूक बनें
प्रशासन और विशेषज्ञों की ओर से ग्राहकों से अपील की गई है कि वे हर लेन-देन की पक्की रसीद अवश्य लें। यह उनका उपभोक्ता अधिकार है और यही कर प्रणाली को पारदर्शी बनाए रखने का मूल आधार भी है।
निष्कर्ष:
जौनपुर में टैक्स चोरी की यह प्रवृत्ति एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। यह न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि कानून के प्रति लापरवाही और उदासीनता को भी उजागर कर रही है। अब जरूरत है प्रशासन की सख्ती और आम जनता की जागरूकता की — ताकि ऐसे काले कारोबार पर लगाम लग सके।