जौनपुर जिले के प्रसिद्ध शीतला चौकियां धाम में कई महीनों मेला बीत जाने के बाद भी पुलिस बैरियर का कूड़े के ढेर में पड़ा होना प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है। यह स्थिति उस समय अधिक विचारणीय हो जाती है, जब जिले में पुलिस बूथों के उद्घाटन और जनसुविधा के लिए किए जा रहे दावों का जोर-शोर से प्रचार किया जा रहा है।
व्यवस्था की सच्चाई
मेले के दौरान हजारों श्रद्धालु शीतला चौकियां धाम में दर्शन के लिए पहुंचे। उनकी सुरक्षा और यातायात व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस विभाग द्वारा बैरियर लगाए गए थे। लेकिन मेले के समापन के बाद, ये बैरियर अनदेखी के शिकार हो गए और अब कूड़े के ढेर में पड़े हुए दिखाई दे रहे हैं।
प्रशासन की उदासीनता
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह घटना प्रशासन की उदासीनता को दर्शाती है। मेले के दौरान व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी खर्च किया गया, लेकिन समापन के बाद उपयोग की गई सामग्रियों की देखभाल और समुचित निस्तारण पर ध्यान नहीं दिया गया। यह स्थिति सार्वजनिक संपत्ति के दुरुपयोग का उदाहरण है।
स्थानीय जनता का रोष
क्षेत्रीय नागरिकों और श्रद्धालुओं ने इस घटना पर नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि एक तरफ प्रशासन स्वच्छता और सुव्यवस्थित व्यवस्था के दावे करता है, वहीं दूसरी ओर, इस प्रकार की लापरवाहियां दावों की सच्चाई पर सवाल खड़े करती हैं।
सवाल और सुधार की जरूरत
इस घटना ने यह स्पष्ट किया है कि योजनाओं को कागजों से जमीन पर उतारने में अभी भी कमी है। यदि प्रशासन मेला आयोजन के बाद इस्तेमाल की गई सामग्रियों को उचित तरीके से समेटने और उनके रखरखाव पर ध्यान दे, तो इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सकता है।
शीतला चौकियां धाम में पुलिस बैरियर का कूड़े में पड़े रहना न केवल एक प्रशासनिक चूक है, बल्कि यह स्वच्छता और जिम्मेदारी के प्रति हमारी उदासीनता को भी उजागर करता है। इस घटना को सुधारने और आगे से ऐसी स्थितियों से बचने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।