संसद सत्र में सांसद के सवाल पर डोभी के किसानों में नाराजगी

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अक्रोशित किसान 21 फरवरी को टोल प्लाजा पर देंगे धरना 

लंबित मुआवजे को लेकर किसानों के अनोखे तरीके बन रही है मीडिया की सुर्खियां

संवाददाता: अरविंद कुमार यादव

केराकत जौनपुर।

वाराणसी-आजमगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग के मुआवजे को लेकर डोभी के किसानों का सब्र टूटता साफ देखा जा सकता है।किसान लंबित पड़े मुआवजे को लेकर अनोखे तरीके अपनाकर जनप्रतिनिधियों का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए सुझाव के श्लोगन के साथ हेलीकाप्टर का डेमू बनाकर भरपूर प्रयास भी किया गया हालांकि श्लोगन व हेलीकाप्टर मीडिया की सुर्खियां बनते ही रातों रात हेलीकाप्टर को गायब करने के साथ ही श्लोगन पर कालिख पोत दी गई।किसान हेलीकाप्टर को लेकर जद्दोजहद कर ही रहे थे कि इसी बीच एक पत्रक सोसल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई। पत्रक संसद सत्र के भू-अधिग्रहण के लिए मुआवजा प्रश्न संख्या 1046 का है जिसमें मछलीशहर सांसद बीपी सरोज ने डोभी के किसानों के लंबित पड़े मुआवजे को लेकर सवाल पूछा।सवाल पर परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अपना ज़बाब में केवल क से ग तक का जवाब देते हुए मामला न्यायलय में विचाराधीन बताया।जिसको लेकर डोभी के किसानों का संसद सत्र के आखिरी दिनों में भी आस टूटने से भारी आक्रोश देखा जा रहा है किसानों का आरोप है कि सांसद ने जो सवाल संसद सत्र में उठाया है वह सही तरीके से नहीं उठाया गया। किसानों के हाईकोर्ट अर्जी लगाने का उल्लेख है जबकि एनएचआई किसानों के विरुद्ध हाई कोर्ट में गई है।साथ ही परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मामले को न्यायालय में विचाराधीन की बात तो कही गई मगर न्यायालय में कौन किसको पार्टी बनाया उसको लेकर ज़बाब में उल्लेख नहीं किया जाना बड़ा सवाल खड़ा करता है।हालांकि वायरल पत्र की पुष्टि अखबार नही करता है।

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किसानों को उचित मुआवजा देकर सड़क निर्माण देश हित में कराए एनएचआई: अजीत सिंह

जनता जनप्रतिनिधि चुनकर  संसद भेजती है जनमानस हित का सवाल उठाने के लिए ।  लेकिन सांसद जी के सवालों से ऐसा लग रहा है जैसे सांसद बीपी सरोज जनता और किसानों के बीच में बैठते ही नहीं है अगर किसानों के बीच में बैठते तो  पूरी जानकारी होती मगर बगैर जानकारी के अंजान तरीके से संसद में अपना सवाल लगाना सही नहीं है। सांसद के 5 साल के कार्यकाल में यह नहीं पता चला कि किसानों को मुआवजा मिला है या नहीं मिला है क्या सांसद को यह नहीं पता कि किसानों के ऊपर राष्ट्रीय राजमार्ग ने जिला जज के फैसले को न मानते हुए लगभग 4000 किसानों को पार्टी बनाकर माननीय न्यायालय हाई कोर्ट इलाहाबाद में मुकदमा किया है और किसानों को लगभग 600 ग्राम का नोटिस भिजवाया गया है। सांसद को यह कहना चाहिए कि देश के अन्नदाताओं के ऊपर मुकदमा का होना अपने आप में जय जवान जय किसान के नारे को अपमानित करता  है अगर सांसद चाहते तो नहीं को लेकर किसानों के साथ बैठकर आपसी राय मशवरा करके किए गए मुकदमे को वापस लेते हुए किसानों को उचित मुआवजा देकर सड़क निर्माण देश हित में करा सकती थी। सांसद को चल रहे किसानो और राष्ट्रीय राजमार्ग के बीच की लड़ाई को सीधे दर्शाते हुए सवाल लगाना चाहिए कि क्या राष्ट्रीय राजमार्ग 233 के पूर्ण निर्माण व अभिग्रहण किए भूमी का मुआवजा दिए अधूरे सड़क का टोल टैक्स वसूलना जायज है ?राष्ट्रीय राजमार्ग अपने फायदे के लिए टोल प्लाजा का निर्माण बलरामगंज में तैयार कर टोल वसूलने की तैयारी में है क्या यह उचित है ? टोल वसूलने की इतनी ही जल्दबाजी थी तो किसानो को कोर्ट में घसीटने की क्या जरूरत थी।

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संसद सत्र में सांसद बीपी सरोज के सवाल

(क) क्या उत्तर प्रदेश के जौनपुर में मछली शहर के लगभग 20 गांव के 4000 किसानों, जिनकी भूमिका अधिग्रहण राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 233 की विस्तारण परियोजना के लिए किया गया था, को अभी तक मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया है, यदि हां तो तत्संबंधी ब्योरा क्या है तथा यदि नहीं तो इसके क्या कारण,(ख) क्या यह सच है कि किसानों ने उन्हें उचित मुआवजे का भुगतान न किए जाने के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय में अर्जी लगाई है और यदि हां तो तत्संबंधी क्या है तथा इसके  क्या कारण है (ग) किसानों की दुर्दशा को देखते हुए एन एच 233 हेतु अधिग्रहित भूमि के लिए उन्हें उचित मुआवजा देने हेतु सरकार द्वारा क्या कार्रवाई की जा रही है और,(घ) मुआवजे का भुगतान कब तक किए जाने की संभावना है?

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पत्र के संबंध में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के जवाब

(क) से (ग) जौनपुर जिले (मछलीशहर निर्वाचन क्षेत्र में आने वाले) के लगभग 20 गांव के ऐसे किसी भी किसान को कोई भुगतान नहीं किया गया है जिनकी भूमि राष्ट्रीय राजमार्ग 233 पैकेज (।।।) के घाघरा पुल से वाराणसी खंड को चार लेने का बनाने से प्रभावित हो रही है। इसके अतिरिक्त भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा अधिसूचित भूमि का वास्तविक कब्जा नहीं किया गया है। भूमि मालिक भूमि अधिग्रहण पुनर्वास व पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 में उचित मुआवजा और पारदर्शिका के अधिकार के प्रावधानों के विपरीत औसत के तरीके के आधार पर आर्थिक मुआजे की मांग कर रहे हैं यह मामला माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय में विचाराधीन है।

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