हक़ हुकूमत ‘अवाम की बातें
जैसे दक्षिण से वाम की बातें
त्याग जीवन में ही नहीं मिलता
ढ़ोग में ख़ूब राम की बातें
रोज़ी-रोटी को भूलिए फिर से
कीजिए अब तो धाम की बाते
आप व्यवहार में भी व्यापारी
करने लगते हो दाम की बातें
बात अच्छी तो है तरक़्क़ी की
बात का क्या है नाम की बातें
‘वंदना’ की ग़ज़ल को पढ़िए पर
याद रखिएगा काम की बातें
वंदना
अहमदाबाद